जबलपुर। देश की सीमा पर पहरा देते सैन्य जवान तनाव बढ़ने या घुसपैठ की कोशिश होते ही अपग्रेड 155एमएम 'सारंग तोप' से गोले बरसा सकेंगे. जिसके लिए जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री में बने तीन 155एमएम की 45 कैलीबर सारंग तोप सेना के हवाले की गई है. अब इन्हें तोपखाने में शामिल कर लिया जाएगा. ये तोप उस समय सौंपी गईं है, जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बना हुआ है. ऐसे में ये तोप सेना की ताकत भी बढ़ाएगी.
'सारंग तोप' वाहन निर्माणी महाप्रबंधक ने दिखाई हरी झंडी
विश्वकर्मा जयंती पर तीनों सारंग तोप का पूजन किया गया, फिर इन्हें महाप्रबंधक अतुल गुप्ता ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. बता दें कि, बीते तीन सितंबर को तोप का आइनोट मिला था. 40 किमी की दूरी तक निशाना साधने वाली तोप को व्हीकल फैक्ट्री ने तकरीबन डेढ़ साल में तैयार किया है. सेना के पास पहले से मौजूद 130एमएम को अपग्रेड 'सारंग तोप' है. पहले की इसकी मारक क्षमता करीब 27 किमी थी, लेकिन पूरे ऑर्डनेंस में बदलाव किया गया है. अपग्रेड होने के बाद अब इस तोप को सेना इस्तेमाल कर सकेगी.
सारंग तोप वाहन को दिखाई हरी झंडी 'सारंग तोप' प्रोजेक्ट टीम को किया सम्मानित
तीन तोप को हरी झंडी दिखाकर वीएफजे से रवाना किया गया. मूल प्रोजेक्ट जबलपुर की गन कैरिज फैक्ट्री में चल रहा है. वहां भी पांच तोपों को तैयार किया जा चुका है, जिसका आइनोट भी सेना की गुणवत्ता इकाई के द्वारा दिया जा चुका है. सारंग तोप प्रोजेक्ट में तमाम विभाग और अनुभागों के करीब 35 लोगों की टीम ने काम किया है. ग्रुप ऑफिसर सारंग तोप व संयुक्त महाप्रबंधक रामेश्वर मीणा हैं, जिसके लिए उन्हें और उनकी पूरी टीम फ्लैगिंग ऑफ सेरेमनी में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया.
इस समारोह के मुख्य अतिथि कंट्रोलर सीक्यूए (डब्ल्यू) ब्रिगेडियर आइएम सिंह रहे. विशिष्ट अतिथि कंट्रोलर सीक्यूए (ओएफवी) रहे. इस दौरान अपर महाप्रबंधक ओपी तिवारी, कर्नल एके गुप्ता, प्रोजेक्ट मैनेजर शारंग/डब्ल्यूडीइटी लेफ्टिनेंट कर्नल रजत टंडन, एएन अडकर, और यूनियन-एसोसिएशन, जेसीएम, वक्रस कमेटी के सदस्य मौजूद थे.
सारंग की खासियत
ये तोप 155 एमएम, 45 कैलिबर, 40 किलोमीटर की मारक क्षमता रखती है. अंधेरे में सटीक वॉर करने की क्षमता से लैस है. अंधेरे के अंदर भी ये ऊंचे से ऊंचे पहाड़ पर निशाना लगाती है.