जबलपुर। मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की परंपरा बहुत पुरानी है. जबलपुर के नाल बंद मोहल्ले में एक पतली सी गली छोटे पतंग बाज के नाम से एक दुकान मशहूर है. इस दुकान से बीते 60 सालों से केवल पतंगे ही बेची जा रही है. यह मुस्लिम परिवार मकर संक्रांति के दिन का बेसब्री से साल भर इंतजार करता है, क्योंकि मकर संक्रांति आती है, तभी छोटे पतंग बाज का कारोबार शबाब पर होता है. छोटे पतंग बाज के परिवार की तीसरी पीढ़ी यह कारोबार संभाल रही है.
अजीबोगरीब पतंगे
पहले पतंग केवल कागज की हुआ करती थी लेकिन अब प्रिंटेड पॉलिथीन की पतंग बाजार में चलन में है. बच्चे इन पतंगों पर छपे हुए कार्टून कैरेक्टरों की वजह से इन्हें पसंद करते हैं. बाजार में कई मशहूर कार्टून कैरेक्टर्स की पतंगे मौजूद है. इसके अलावा यहां भी हमें कोरोना वायरस देखने को मिला और एक पतंग जिस पर गो करोना गो का स्लोगन लगा हुआ था. पतंग पर कोरोना और मास्क लगाए हुए बच्चे नजर आ रहे थे. समसामयिक चित्रों से जुड़ी हुई पतंग में हर साल सबसे ज्यादा बिकती है.
पतंगबाजी के कार्यक्रम