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जबलपुर: पहली बार निजी क्षेत्र में बनी तोप का परीक्षण, भारत फोर्ज लिमिटेड की गरुण का हुआ परीक्षण - खामरिया एलपीआर

जबलपुर की LPR (Long Proof Range) में पहली बार निजी क्षेत्र में बनी तोप का परीक्षण किया गया. भारत फोर्ज लिमिटेड की गरुण तोप के दो वैरिएंट का परीक्षण किया गया.

For the first time in LRP, private sector cannon was tested
एलआरपी में पहली बार निजी क्षेत्र में बनी तोप का परीक्षण

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Published : Jun 13, 2021, 8:30 PM IST

जबलपुर। LPR (Long Proof Range) में पहली बार निजी क्षेत्र में बनी तोप का परीक्षण किया गया. LPR में भारत फोर्ज लिमिटेड (Bharat Forge Limited) की 105 मिमी गरुड़ वी 2 (150 MM Garuda V2) और 155/39 मिमी अल्ट्रा लाइट वेट गन (155/39 MM Ultra Light Weight gun) का परीक्षण किया गया. इससे पहले तक जबलपुर की एलपीआर (LPR) में सार्वजनिक क्षेत्र या अन्य संस्थानों के बने हथियारों का ही परीक्षण किया जाता था.

एलआरपी में पहली बार निजी क्षेत्र में बनी तोप का परीक्षण

निजी कंपनी की बनाई गन का परीक्षण

भारत फोर्ज लिमिटेड (Bharat Forge Limited) की 105 मिमी गरुड़ वी 2 (150 MM Garuda V2) और 155/39 मिमी अल्ट्रा लाइट वेट गन (155/39 MM Ultra Light Weight gun) ने साबित कर दिया कि वह दुश्मन को धूल चटाने की कितनी काबलियत रखती हैं. अब तक धनुष और सांरग जैसी देश की सबसे ताकतवर तोपों का परीक्षण कर चुके एलपीआर खमरिया ने निजी क्षेत्रों के लिए भी अपनी रेंज को खोला दिया हैं. इसके पीछे हवाला यह दिया गया कि इससे देश की सामरिक ताकत को बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही एलपीआर अतिरिक्त राजस्व जुटा सकेगा. इसके तहत भारत फोर्ज लिमिटेड की 105 मिमी गरुड़ वी 2 (150 MM Garuda V2) और 155/39 मिमी अल्ट्रा लाइट वेट गन (155/39 MM Ultra Light Weight gun) का ट्रायल एलपीआर (LPR) में किया गया.

'सारंग' से 'धनुष' तक सेना की ताकत का केंद्र है जबलपुर

गरुड़ वी-2 105 मिमी गन

  • 105 मिमी की ये गन पूरी तरह से अल्ट्रा लाइट वेट है
  • इसमें अत्याधुनिक हाइब्रिड रिकॉइल सिस्टम है, जो 360 डिग्री फायरिंग क्षमता से लैस है
  • इसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र में तैनाती के लिए 4x4 व्हील वाले चेसिस पर भी लगाया जा सकता है

गरुड़ वी-2 155/39 मिमी गन

  • 155/39 मिमी कैलिबर से किसी भी टारगेट को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है
  • पूर्ण रूप से एक स्वदेशी डिजाइन और पहाड़ी इलाकों में तैनाती के लिए विकसित की गई है
  • यह काफी हल्की है, जिसे दुर्गम क्षेत्रों पर आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है

टेस्टिंग रेंज में इन हथियारों का सफल परीक्षण कर लिया गया है, लेकिन ये हथियार भारतीय सेना को कब तक मिलेंगे और सेना के लिए कितने कारगर होंगे ये समय बताएगा. लेकिन निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए LPR के द्वार खोलने से एलपीआर को जरुर राजस्व का फायदा होगा.

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