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पूर्व वित्त मंत्री भनोट का आरोप- शिवराज बेरोजगारों की आत्महत्या के जिम्मेदार, व्यापम से वसूले 1000 करोड़

मध्यप्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने आरोप लगाया है कि जब से शिवराज सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, तब से लेकर अब तक 17326 छात्रों और बेरोजगारों ने आत्महत्या की है. भनोट ने यह आंकड़ा एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर निकाला है. जिसमें 2004 से लेकर 2021 तक का ब्योरा दिया गया है. इसके मुताबिक 2021 से लेकर अब तक 1308 छात्रों और 414 बेरोजगारों ने आत्महत्याएं की हैं.

Madhya Pradesh Tarun Bhanot
पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट

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Published : Mar 23, 2023, 11:09 PM IST

पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट

जबलपुर। पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोट ने बेरोजगारों की आत्महत्याओं को लेकर सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. भनोट का आरोप है कि शिक्षित युवाओं और बेरोजगारों की आत्महत्या के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि वह ऐसा वातावरण पैदा नहीं कर पाई, जिसके चलते बेरोजगारों को नौकरियां मिल सकें. ऐसे में जो युवा कर्ज लेकर पढ़ाई कर रहे थे, उन्होंने नौकरी नहीं मिल पाने की वजह से हताश होकर मौत को गले लगा लिया है.

व्यापम के जरिए बेरोजगारों से वसूली:भनोट का आरोप है कि एक तरफ राज्य सरकार युवा पंचायत लगा रही है, दूसरी तरफ परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं. ऐसे में मेहनतकश युवा ठगा जा रहा है. बेरोजगार युवाओं को शिवराज सरकार लूट रही है. व्यापम के जरिए परीक्षा फीस के रूप में अब तक 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा की वसूली बेरोजगार युवाओं से की जा चुकी है. इसमें लगभग 455 करोड़ रुपए का व्यापम को शुद्ध मुनाफा हुआ है. तरुण भनोट ने पूछा है कि बेरोजगार युवाओं से फीस लेकरसरकार कौन सा धंधा कर रही है.

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सरकारी आंकड़े में इतने बेरोजगार: तरुण भनोट ने आंकड़ों के आधार पर बताया कि लगभग 7000000 युवाओं को उच्च शिक्षा के अवसर नहीं मिल पा रहे हैं. मध्यप्रदेश विधानसभा में खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने एक सवाल के जवाब में बताया है कि प्रदेश में 3780000 शिक्षित युवाओं का रोजगार रजिस्ट्रेशन है. लेकिन 1 अप्रैल 2020 तक बीते 3 सालों में मात्र 21 लोगों को रोजगार कार्यालय के जरिए काम दिया जा सका है. मध्य प्रदेश युवाओं की उच्च शिक्षा के मामले में बहुत पिछड़ा है. भारत सरकार के उच्च शिक्षा के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश में प्रति लाख आबादी पर मात्र 29 कॉलेज हैं जबकि तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में प्रति लाख आबादी पर 50 से ज्यादा कॉलेज हैं.

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