जबलपुर। किसान नेता डीपी धाकड़ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून और मप्र मंडी अधिनियम को लेकर केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. ये जानकारी राज्यसभा सांसद और याचिकाकर्ता के वकील विवेक तन्खा ने ट्वीट कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून के खिलाफ दायर दो याचिकाओं को दूसरी याचिकाओं के साथ टैग कर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. एक याचिका मध्य प्रदेश के किसान डीके धाकड़ और दूसरी याचिका भारतीय किसान पार्टी ने दायर किया है.
याचिकाकर्ता के वकील की दलील
सुनवाई के दौरान डीपी धाकड़ की ओर से सीनियर अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा कि कृषि कानून मध्य प्रदेश के कृषि कानूनों के खिलाफ है. गौरतलब है कि पिछले 12 अक्टूबर को कोर्ट ने कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने नए कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
विवेक तन्खा ने ट्वीट कर केंद्र पर उठाए सवाल
राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने ट्वीट कर कहा कि 'प्रदेश का अपना कानून है 1972 से. कृषि उपज मंडी की व्यवस्था लगभग हर तहसील में. यह व्यवस्था स्टेट्स के अधिकारों का प्रतीक है. भारत सरकार इस प्रादेशिक व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. 70 साल में यह पहला बार कृषि क्षेत्र में केंद्रीय कानून के द्वारा हस्तक्षेप.
हिंदू धर्म परिषद की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने नए कृषि कानून को पूरे देश में लागू करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है. चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिया कि कानून कहां लागू नहीं हुआ है और इसकी वजह से क्या नुकसान हो गया है. याचिका में कृषि कानून के खिलाफ सभी प्रदर्शनों पर रोक लगाने की मांग की गई थी.
मध्यप्रदेश मंडी एक्ट में संशोधक पर शिवराज सरकार का दावा
प्रदेश में मंडी अधिनियम में कई संशोधन किए गए हैं. सरकार का दावा है कि इनके लागू होने से अब किसान घर बैठे ही अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेच सकेंगे. उन्हें मंडी जाने की बाध्यता नहीं होगी. इसके साथ ही, उनके पास मंडी में जाकर फसल बेचने तथा समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचने का विकल्प भी जारी रहेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि अधिक प्रतिस्पर्धी व्यवस्था बनाकर किसानों के हित में ये प्रयास किया गया.
कृषि कानून
- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) अधिनियम 2020
इस कानून के अनुसार किसान अपनी फसलें अपने मुताबिक मनचाही जगह पर बेच सकते हैं. यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है. यानी की एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं. फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा, ऑनलाईन भी बेच सकते हैं.
- मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध अधिनियम 2020
देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को पूरी भरपाई करनी होगी. किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि किसानों की आय बढ़ेगी.
- आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है. अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लगाया जाएगा. इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.