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देश की सबसे बड़ी तोप धनुष और सारंग का किया गया सफल परीक्षण - Sarang Gun

जबलपुर के लॉन्ग प्रूफ रेंज में देश की सबसे बड़ी धनुष तोप और सांरग की मारक क्षमता का सफल परीक्षण किया गया. इस मौके पर डीजीक्यू के लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान सहित सेना के कई अधिकारी मौजूद रहे.

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धनुष तोप और सारंग गन का सफल परीक्षण

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Published : Feb 21, 2020, 4:10 PM IST

Updated : Feb 21, 2020, 4:38 PM IST

जबलपुर।भारतीय सेना सहित पूरे देश और जबलपुर के लिए आज का दिन ऐतिहासिक रहा है. मध्यप्रदेश के लॉन्ग प्रूफ रेंज में देश की सबसे बड़ी धनुष तोप और सारंग की मारक क्षमता का सफल परीक्षण किया गया है. इस मौके पर डीजीक्यू के लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान सहित सेना के कई अधिकारी मौजूद रहे.

धनुष और सारंग का सफल परीक्षण

खमरिया एलपीआर में सेना के अधिकारियों के सामने 155 एमएम की धनुष तोप के तीन राउंड फायर किए गए, जबकि धनुष बैरल के चार राउंड. इसी तरह अपग्रेड 155 एमएम सारंग गन और उसके बैरल का अलग-अलग चार-चार बार फायर कर सफल परीक्षण किया गया.

धनुष तोप और सारंग गन का सफल परीक्षण

धनुष तोप दूसरी तोपों की तुलना में है बेहतर

देश की पहली स्वदेशी 155 एमएम की धनुष तोप दूसरी तोपों की तुलना में काफी बेहतर है. इसको सारंग से भी आधुनिक बताया जा रहा है. धनुष तोप का कंप्यूटर सिस्टम दुश्मन पर निशाना साधने में मदद करता है और इसका निशाना भी काफी सटीक होता है. सेना के पास अब तक आधा दर्जन धनुष तोप पहुंच चुकी है और दूसरी खेप जल्द ही भिजवाने की तैयारी की जा रही है. 3 साल में अभी तक कुल 114 धनुष तोपों का निर्माण किया गया है.

सारंग गन रूस की 130 एमएम की अपग्रेड

सारंग गन का सफल परीक्षण 21 जनवरी को किया गया था, उसके बाद ही सारंग गन को लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपा गया था. सेना के पास अब 8 सारंग गन है. दूसरी खेप भी मार्च माह के अंत तक करीब एक दर्जन सारंग की जानी है. सारंग गन मूल रूप से रूस की 130 एमएम की अपग्रेड वर्जन है, जैसे कि भारत में 155 एमएम में बनाया गया है.

पूरे परीक्षण के समय मौजूद रहे लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान

लेफ्टिनेंट जनरल संजय चौहान पूरे परीक्षण के समय मौजूद रहे. धनुष और सारंग के सफल परीक्षण के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि, आज एलपीआर और डीजीक्यू के लिए बहुत ही बड़ा और महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि पहली बार यह देखा गया है कि, जो रेंज मीडियम गनों के परीक्षण के लिए तैयार नहीं थी, वहां पर धनुष और सारंग जैसी बड़ी गनों का सफल परीक्षण किया गया. लेफ्टिनेंट जनरल ने यह भी बताया कि, एलपीआर रेंज में बड़ी गनों की टेस्टिंग होने से ना सिर्फ करोड़ों रुपए का खर्च बचेगा, बल्कि टाइम भी बचेगा. उन्होंने यह भी कहा कि, जो गन जबलपुर में बने उसका फायरिंग टेस्ट अगर यही हो जाता है, तो बिना समय गवाएं और कम खर्च में हम सेना के हवाले कर देंगे.

Last Updated : Feb 21, 2020, 4:38 PM IST

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