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736 तबादलों पर तनातनी! हाईकोर्ट पहुंची राज्य सरकार, दायर की केविएट

पुलिस अधिकारी ट्रांसफर रद न करवा सकें, इसलिए प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में केविएट दायर की है. प्रदेश सरकार ने 736 पुलिस अधिकारियों के ट्रांसफर किये हैं, सरकार को शक है कि ये अधिकारी ट्रांसफर रुकवाने के लिए कोर्ट जा सकते हैं.

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Published : Feb 11, 2019, 11:55 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में इन दिनों सरकार सभी विभागों में अफसरों के तबादले कर रही है. सरकार ने पुलिस विभाग में करीब सात सौ से अधिक तबादले किये हैं तो संभव है कि ट्रांसफर के खिलाफ अधिकारी कोर्ट भी जायें, लिहाजा सरकार ने पहले ही हाईकोर्ट में केवियट दायर कर दिया है.

शशांक शेखर, अतिरिक्त महाधिवक्ता, मध्यप्रदेश सरकार

दरअसल, लंबे समय से एक ही जगह काम कर रहे अधिकारी पूरी इमानदारी से जनता के साथ न्याय नहीं कर पाते और स्थानीय संबंधों की वजह से पक्षपात करने लगते हैं. कई नेता राजनीतिक हित साधने के लिए अधिकारियों से अच्छे संबंध बना लेते हैं. साथ ही जिन अधिकारियों ने पिछला चुनाव जिस जगह संपन्न करवाया है, वह अगले चुनाव में उस जगह पदस्थ नहीं रह सकते, ये चुनाव आयोग की गाइडलाइन है. इसलिए प्रदेश में लगातार अधिकारियों के तबादले हो रहे हैं.

पुलिस विभाग में 736 अधिकारियों के तबादले किए गए हैं और सरकार को संदेह है कि कुछ अधिकारी अपना ट्रांसफर रुकवाने की कोशिश करेंगे, इसके लिए हाईकोर्ट एक प्रभावी जरिया है. लिहाजा, सरकार ने पहले ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में केविएट दायर की है, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए याचिका दायर करता है तो पुलिस अधिकारी को स्टे देने से पहले एक बार सरकार का भी पक्ष सुना जाए.
प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर का कहना है कि ट्रांसफर सरकार की सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन किसी अधिकारी ने हाईकोर्ट के जरिए ट्रांसफर रुकवाने की कोशिश की तो हमने हाईकोर्ट के सामने सरकार का ये पक्ष रखा है कि एक बार सरकार की बात सुनी जाए, इसके बाद ही ट्रांसफर रोकने की कार्रवाई की जाए.

क्या है Caveat
केवियेट मतलब कानूनी प्रक्रिया पर रोक, यदि केवियेट दायर किया गया है तो इसका मतलब है सरकार उन लोगों से पहले मामला कोर्ट के हवाले कर रहा है, जो कोर्ट जाने का विचार रखते हैं. सरकार कोर्ट में कहेगा कि अभ्यर्थी इस इस आधार पर कोर्ट आएंगे, आप मामले को समझ कर उनके पक्ष पर विचार करें, लेकिन सरकार के पक्ष को भी सुना जाये.

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