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जबलपुर में सफेद चंदन की चोरी, राज्य वन अनुसंधान संस्थान में रिसर्च के लिए लगे 7 पेड़ काट ले गए तस्कर, मचा हड़कंप

मध्यप्रदेश के जबलपुर इन दिनों सफेद चंदन तस्करी जोरों पर है. चंदन की तस्करी करने वाले आए दिन जंगल से हरे भरे चंदन के पेड़ काटकर इसकी तस्करी कर रहे हैं. वन विभाग की हाईटेक सुरक्षा होने के बावजूद भी तस्कर जंगलों से पेड़ काटते हैं और इसकी सप्लाई अन्य जिलों में बेखौफ कर रहे हैं. जिसको लेकर अब वनविभाग की सुरक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़े हो रहे हैं.

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Published : Jul 13, 2023, 12:06 PM IST

जबलपुर में सफेद चंदन की चोरी

जबलपुर।SFRI यानी राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर में रिसर्च के लिए लगाए हुए चंदन के वृक्षों की चोरी हो गई जिससे हड़कंप मच हुआ है. जीवन व जंगल में होने वाले परिवर्तनों पर सतत निगरानी रखने वाले एसएफआइआई संस्थान में करीब 100 एकड़ में लगे कई ऐसे दुलर्भ औषधी पौधे एवं वृक्ष हैं जिन पर कई वर्षो से रिसर्च चल रही है. ऐसे में संस्थान से चंदन के वृक्षों के काटे जाने मामले को काफी गंभीरता से लिया जा रहा है. पहले तो प्रबंधन वृक्ष काटे जाने की बातों से इंकार कर रहा था लेकिन जब काटे गए वृक्षों के ढूंठों के वीडियो वायरल होने लगे तो बात सबके सामने आ गई, जिसको लेकर अब कई सवाल भी खड़े होने लगे हैं.

वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर

जानकारी के मुताबिक ग्वारीघाट:पोलीपाथर स्थित राज्य वन अनुसंधान संस्थान एसएफआरआइ के वॉटनी गार्डन में रिसर्च के लिए लगाए गए करीब 7 चंदन के वृक्षों को अज्ञात लोग काट ले गए. अधिकारियों के मुताबिक वृक्षों की अनुमानित कीमत लगभग 4 लाख रुपए बताई जा रही हैं. यह वारदात कब हुई इसको लेकर तो कोई अधिकृत तौर पर नहीं कर रहा है लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि संस्थान से वृक्षों को काटकर तस्कर बाहर कैसे ले गए क्योंकि संस्थान की सुरक्षा में चौबीस घंटे सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद वन मंत्री वन विभाग के सर्किट हाउस में न रूक कर एसएफआरआई में रूकते हैं.

सफेद चंदन की चोरी

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जांच के आदेश: राज्य वन अनुसंधान संस्थान के डिप्टी डायरेक्टर आईएसएफ रविंद्र मणि त्रिपाठी ने पूरे मामले को लेकर संबंधित अधिकारियों को मौका निरीक्षण करते हुए पंचनामा बनाने के निर्देश दिए हैं. वहीं पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. मामले को लेकर अधिकारी रवींद्र मणि त्रिपाठी ने कहा कि राज्य वन अनुसंधान संस्थान में सीमित संसाधन है. जिसके कारण इस प्रकार की घटनाएं सामने आती है. पहले भी इस प्रकार की घटनाएं सामने आई हैं जिसकी जांच की जा रही है.

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