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निजीकरण के विरोध में सुरक्षा संस्थान कर्मचारी हड़ताल पर, धारा- 144 का भी नहीं दिखा असर - mp news

निजीकरण और मोदी सरकार के खिलाफ कर्मचारियों का हड़ताल का पहला दिन सफल रहा. ऑडनेंस फैक्ट्री खमरिया, गन कैरिज फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर सहित ग्रे आयरन फाउंड्री फैक्ट्री के कर्मचारी भी आज हड़ताल पर थे.

निजीकरण के विरोध में सुरक्षा संस्थान कर्मचारी हड़ताल पर

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Published : Aug 20, 2019, 3:13 PM IST

जबलपुर। निजीकरण को लेकर देशभर के सुरक्षा संस्थान के कर्मचारी आज से 1 माह की हड़ताल पर चले गए हैं. जिले की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया, गन कैरिज फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री जबलपुर सहित ग्रे आयरन फाउंड्री फैक्ट्री के कर्मचारी भी आज से हड़ताल पर है. हालांकि कुछ कर्मचारी जरूर फैक्ट्री के अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे, जिन्हें की गेट पर खड़े कर्मचारियों ने रोक दिया.

निजीकरण के विरोध में सुरक्षा संस्थान कर्मचारी हड़ताल पर


इधर हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने वरिष्ठ गुणवत्ता आश्वासन प्रतिष्ठान के ब्रिगेडियर और कर्नल के काफिले को रोककर उनके ही सामने जमकर नारेबाजी की. इस दौरान सेना के अधिकारी और कर्मचारी आमने- सामने आ गए. कर्मचारियों का आरोप है कि ब्रिगेडियर बीके पांडे और कर्नल जगन्नाथ झा जबरन अपने साथ विभाग के कर्मचारियों को बस में बैठाकर फैक्ट्री के अंदर ले जा रहे हैं. जबकि कर्मचारी हड़ताल में साथ देने को तैयार थे.


बताया जा रहा है कि कल रक्षा सचिव ने चारों यूनियन के पदाधिकारियों से बातचीत करने के लिए उन्हें बुलाया था, लेकिन दो यूनियन एआईडीईएफ, आईएनडीडब्लूएफ हड़ताल को लेकर किसी भी तरह से रक्षा सचिव से बात करने को तैयार नहीं थी. लिहाजा कल होने वाली बैठक स्थगित हो गई, जो कि आज होने की उम्मीद है. कर्मचारियों कहना है कि अगर सुरक्षा संस्थानों का निजीकरण होता है, तो न सिर्फ देश पर खतरा मंडरा आएगा बल्कि हजारों कर्मचारी कॉर्पोरेट सेक्टर में बंध कर रह जाएंगे. एक माह तक होने वाली हड़ताल का आज से आगाज हो गया है. सभी फैक्ट्रियों के गेट पर तैनात यूनियन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने किसी भी कीमत में फैक्ट्री के अंदर कर्मचारियों को नहीं जाने दिया.


इधर सुरक्षा के मद्देनजर तैनात पुलिस प्रशासन की व्यवस्था और धारा -144 धरी की धरी रह गई, क्योंकि पुलिस प्रशासन के सामने ही नेताओं ने फैक्ट्री जाने वाले कर्मचारियों को ना सिर्फ रोका, बल्कि उन्हें वहां से भगा दिया. अधिकारियों का मानना था कि कर्मचारी स्वेच्छा से ही आ जा रहे हैं.

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