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मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में लागू की जाये धारा-50, दो माह में निराकरण करे सरकार: हाई कोर्ट - चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक

मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (Madhya Pradesh Medical Science University) में आर्थिक अनियमितताओं को हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में चुनौती दी गई थी, जिस पर कोर्ट ने दो माह के अंदर मामले का निपटारा करने का आदेश राज्य सरकार (Madhya Pradesh Government) को दिया है.

Madhya Pradesh High Court
हाई कोर्ट का आदेश

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Published : Sep 18, 2021, 8:12 AM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (Madhya Pradesh Medical Science University) में आर्थिक अनियमितताओं के कारण धारा 50 लागू किये जाने की मांग करते हुए हाई कोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में याचिका दायर की गयी है, याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक (Chief Justice Mohammad Rafiq) तथा जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की युगलपीठ ने इस संबंध में राज्य सरकार के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने के निर्देश दिये हैं. पीठ ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि दो माह की निर्धारित समय अवधि में अभ्यावेदन का निराकरण किया जाये.

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भारत विकास परिषद (India Development Council) के अध्यक्ष आलोक मिश्रा की तरफ से दायर रिव्यू याचिका में मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी (Madhya Pradesh Medical Science University) में आर्थिक अनियमितताओं को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया था कि मध्यप्रदेश मेडिकल सांइस यूनिवर्सिटी में 2021-22 का बजट प्रस्तुत नहीं किया गया है, बजट का अनुमोदन नहीं होने के बावजूद विश्वविद्यालय में लाखों रुपए का भुगतान किया जा रहा है, मेडिकल यूनिवर्सिटी में करोड़ों का लेन-देन विधि विरुद्ध तरीके से किया जा रहा है.

मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी एक्ट (Madhya Pradesh Medical Science University Act) की धारा 26(3) में स्पष्ट प्रावधान है कि विश्वविद्यालय की वित्त समिति द्वारा वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के पूर्व वार्षिक बजट (Annual Budget) अनुमोदन के लिए कार्य परिषद के समक्ष रखा जाएगा, तत्कालीन कुलपति तथा वर्तमान कुल सचिव द्वारा अभी तक बजट पारित नहीं कराया गया है, याचिकाकर्ता ने शासन को विश्वविद्यालय में धारा 50 का उपयोग कर वित्तीय आपातकाल लगाने हेतु आवेदन किया था, पर राज्य सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

मेडिकल यूनिवर्सिटी की कार्यपरिषद के सदस्य डॉ. राजेश धीरावाणी ने भी पत्र लिखकर राज्य सरकार को कार्य परिषद के समक्ष बजट प्रस्तुत नहीं करने के संबंध में पत्र लिखा था, (Madhya Pradesh High Court) युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है, याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता बृजेश दुबे ने पैरवी की.

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