जबलपुर। मध्यप्रदेश में शिक्षा-व्यवस्था के हाल बेहाल हैं. जिस शिक्षा के मंदिर में देश का भविष्य तैयार होता है, वहां छात्र-छात्राओं को बर्तन साफ करने के गुर सिखाए जा रहे हैं. जिन हाथों में कलम होनी चाहिए, उन हाथों में स्कूल प्रबंधन ने बर्तन साफ करने की साम्रगी थमा दी है, जबकि ये बच्चे अच्छी शिक्षा के लिए घर से निकलते हैं, लेकिन इन नौनिहालों को पढ़ाई छोड़कर सारे काम सिखाए जा रहे हैं.
अजब एमपी की बदहाल शिक्षा-व्यवस्था, स्कूली छात्राओं से करवाए जा रहे हैं बर्तन साफ - jabalpur news
बच्चों को अच्छी शिक्षा लेने के लिए ना जाने कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन क्या उन्होंने कभी सपने में भी सोचा होगा कि शिक्षा के मंदिर में उनसे उन्हीं के जूठे बर्तन साफ करवाए जाएंगे.
स्कूल में बर्तन साफ करती ये छात्राएं वरगी विधानसभा के कछार स्थित शासकीय माध्यमिक शाला की हैं, जहां मध्याह्न भोजन के दौरान थाली धुलवाई जा रही है. जबकि मिड डे मील योजना के अंतर्गत ऐसा कोई नियम नहीं है कि बच्चों से भोजन की थाली धुलवाई जाये. स्कूल प्रबंधन की तानाशाही यहीं खत्म नहीं हुई, यहां तक कि बच्चों के सामने ये शर्त रखी जाती है कि पहले बर्तन साफ करो फिर मिलेगा भोजन.स्कूल प्रबंधन की मनमानी उजागर होने के बाद जब स्कूल अध्यक्ष से बात की गई, तो उन्होंने अपनी सफाई देते हुए कहा कि बच्चे खुद ही साफ हुई थाली को धो देते हैं.
वहीं जब इस बारे में स्कूल प्रधानाध्यापक राकेश पटेल से बात की गई, तो उन्होंने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधक द्वारा किसी भी बच्चे से भोजन की थालियां नहीं धुलवाई जातीं, जबकि वीडियो में ऐसा होता हुआ साफ दिख रहा है. दूसरी ओर इस गंभीर मामले में डीपीसी आरपी चतुर्वेदी का कहना है कि वो इस मामले में निरीक्षण करवाएंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. हालांकि ऐसा पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी चरगवां के प्राथमिक स्कूल में कई बार देखने को मिला है. सवाल उठता है कि आखिर कब तक शिक्षा विभाग आश्वासन का झुनझुना थमाता रहेगा और नौनिहालों के भविष्य से खिलवाड़ होता रहेगा. ईटीवी भारत, मध्यप्रदेश