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सरस्वती घाट पर पुल बनाने की मांग को लेकर सत्याग्रह, ग्रामीणों ने किया वोटिंग का बहिष्कार करने का ऐलान

जबलपुर के नर्मदा तट सरस्वती घाट से ग्वारी तक पक्का पुल बनाने की मांग को लेकर सैकड़ों ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह किया. वहीं सरस्वती घाट सहित सभी गांव के वासियों ने आगामी चुनाव में होने वाली वोटिंग का बहिष्कार करने का एलान कर दिया है.

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Published : Nov 4, 2020, 12:37 AM IST

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सरस्वती घाट पर पुल

जबलपुर। नर्मदा तट सरस्वती घाट से ग्वारी तक पक्का पुल बनाने की मांग को लेकर सैकड़ों ग्रामीणों ने जल सत्याग्रह किया. ललपुर, डूडवारा, खुलरी देवरी, सकरी इमलिया सहित करीब 50 गांव के ग्रामीण जल सत्याग्रह में शामिल हुए.

प्रदर्शन में पहुंचे ग्रामीणों की मांग है कि सरस्वती घाट से गवारी के बीच यदि पक्का पुल बनता है, तो क्षेत्र का समुचित विकास कर सकता है, और हजारों ग्रामीणों की जिंदगी बदल सकती है. चाहे पंचकोशी परिक्रमा में निकलना हो या युवाओं को रोजगार के लिए शहर आना हो, बच्चों को स्कूल कॉलेज जाना हो या व्यापारियों को खरीदी करने शहर आना हो. सभी के लिए यह पुल वरदान साबित होगा. इसके साथ ही भेड़ाघाट में बनने वाली संगमरमर की मूर्तियां की कलाकृतियां, टूरिज्म वाले आसपास के टूरिस्ट स्पॉट सहित रेलवे स्टेशन और नेशनल हाइवे से कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी.

ग्रामीणों ने इस आंदोलन को बिना किसी राजनैतिक पार्टी के सहयोग के शुरू किया है. इसके चलते आसपास के गावों में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही आसपास के गांवों के पंच सरपंच सहित प्रबुद्ध ग्रामीण जन के बीच जाकर ग्रामीणों ने पुल की आवश्यकता पर सबकी सहमति बना ली है. जिसके बाद हजारों की तादात में ग्रामीणों ने मिलकर सत्याग्रह करके अपनी आवाज बुलंद की है.

ग्रामीणों का दोनों दलों पर छलावे का आरोप

ग्रामीणों का आरोप है कि नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरस्वती घाट से ग्वारी तक पक्का पुल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन सत्ता पलटते ही कांग्रेस की सरकार आते ही कमलनाथ सरकार ने पक्के पुल को पीपा पुल में तब्दील कर दिया.

ग्रामीणों का आरोप है कि बरगी विधानसभा में आने वाली गरीब जनता के साथ दोनों सरकारें छलावा कर रही हैं, ग्रामीणों ने पानी में उतर कर घंटों तक जल सत्याग्रह किया. इसके साथ ही चेतावनी भी दी कि आने वाले आगामी चुनाव में इसका खामियाजा दोनों पार्टियों को भुगतना पड़ेगा, और सरस्वती घाट सहित सभी गांव के वासियों ने आगामी चुनाव में होने वाली वोटिंग का बहिष्कार करने का भी एलान कर दिया है. जिसका खामियाजा दोनों पार्टियों को भुगतना पड़ेगा.

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