जबलपुर।सरबजीत सिंह मोखा (sarbjeet singh mokha lifestyle) जबलपुर के रईसों में शुमार होता है. उसके पास सिटी हॉस्पिटल, सिटी पैलेस होटल, पेट्रोल पंप, फॉर्म हाउस, कई बिल्डिंगों प्रोजेक्ट और शहर के कई पॉश इलाकों में बड़ी जमीनें हैं. इसके अलावा दमोह में एक बड़े अस्पताल का निर्माण अभी जारी है. जबलपुर में दो अस्पताल बनाकर सरबजीत सिंह बेच चुका है. यह वे संपत्तियां हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी है. इसके अलावा उसके पास कितनी संपत्ति है, इसका अंदाजा किसी को नहीं है, लेकिन यदि कोर्ट ने इस मामले में उन लोगों को कंपनसेशन देने की बात कही जिनके परिवार के लोग नकली दवाई की वजह से मारे गए हैं तो हो सकता है कि बांटने में यह संपत्ति भी कम पड़ जाए.
हाई-फाई लाइफस्टाइल
सरबजीत सिंह रईसी से जीने का आदी है. उसके पास कई लग्जरी गाड़ियां हैं. शहर की सबसे पॉश सोसाइटी में उसके बंग्लो हैं. बड़ी पार्टियां करना, विदेश घूमना जैसे उसके शौक हैं. हालांकि जब वह जेल गया तो पुलिस की पुरानी गाड़ी और एक थैली में कुछ कपड़े लेकर जेल जाना पड़ा.
चंद पैसों के लालच में हुआ बर्बाद
सिटी अस्पताल किसी मायने में छोटा अस्पताल नहीं है. कोरोना वायरस के दौर में अस्पताल में एक साथ 250 मरीजों को इलाज देने की सुविधा है. कोरोना वायरस के दौर में मोटे बिल वसूलने का आरोप भी सिटी अस्पताल पर लगा है. इसी अस्पताल में 10 लाख रुपये कोरोना वायरस के मरीजों से वसूले गए. नरसिंहपुर कलेक्टर जब बीमार हुए, तो उन्हें भी इसी अस्पताल में इलाज दिया गया. एक अनुमान के तहत इस अस्पताल से ही सरबजीत सिंह को हर महीने 5 से 6 करोड़ों रुपये की आमदनी हो रही थी. फिर सवाल यह उठता है कि आखिर इसके बाद भी उसने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन क्यों खरीदें? क्या सरबजीत पैसे की हवस में पागल हो गया था?
नकली रेमडेसिविर मामले का मुख्य आरोपी सरबजीत सिंह मोखा गिरफ्तार
क्या रिहा हो जाएगा सरबजीत?
कुछ जानकारों का कहना है कि सरबजीत सिंह इस मामले में बरी हो जाएगा, क्योंकि उसके खिलाफ पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है. सीसीटीवी फुटेज नष्ट कर दी गई है. इंजेक्शन का कोई रिकॉर्ड किसी के पास नहीं है. बचे हुए इंजेक्शन कहीं फेंक दिए गए हैं, जो रिकवर नहीं हो पाए. ऐसे में पुलिस सरबजीत के खिलाफ आरोपों को कैसे सिद्ध करेगी यह एक बड़ा सवाल है.