जबलपुर। सिटी अस्पताल का संचालक सरबजीत सिंह मोखा करीब दो सप्ताह से केंद्रीय जेल में बंद था, बुधवार को एसआइटी ने कोर्ट से उसकी तीन दिन की रिमांड ली. बताया जा रहा है कि साढ़े चार घंटे चली पुलिस पूछताछ में सरबजीत सिंह मोखा रोता रहा. सूत्रों के अनुसार पूछताछ में मोखा ने कई बार इस बात का जिक्र किया कि ये मेरे खराब कर्मों की सजा है. मेरा बेटा कम उम्र में ही गलत आदतों में पड़ गया.
पूछताछ में रोता रहा मोखा
सूत्रों के मुताबिक पूछताछ में रोते-रोते सरबजीत ने एसआईटी के सामने कई खुलासे किए. मोखा ने कहा कि मैं महज 15 लाख रुपए में महाकौशल के सबसे अच्छे अस्पताल की साख दांव पर क्यों लगाउंगा. मोखा ने कहा कि अगर मुझे पैसों का लालच होता तो मैं कलेक्टर के कहने पर 11 लाख रुपए नहीं देता, कई बड़े वकीलों, प्रशासनिक अधिकारियों और मीडिया के लोगों के लाखों रुपए के बिल नहीं छोड़ता. हालांकि पुलिस मोखा के इन दांवों को उसके बचाव का तरीका मान रही है.
जानकारी लगते ही फेंक दिए थे इंजेक्शन
सूत्रों के मुताबिक सरबजीत सिंह मोखा के सिटी अस्पताल में देवेश आठ महीने पहले ही काम पर लगा था. सरबजीत सिंह मोखा ने बताया कि जैसे ही उसे पता चला कि गुजरात मे नकली इंजेक्शन को लेकर एफआईआर दर्ज हुई है वैसे ही उसने देवेश चौरसिया से इस मामले में जानकारी मांगी थी. जिस पर पता चला कि ये भी वही इंजेक्शन है, इसके बाद मोखा ने इंजेक्शन को नष्ट कर फिंकवा दिया था.