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RSS Chief मोहन भागवत का आह्वान- एक मंदिर, एक श्मशान और एक पानी की नीति अपनाएं सभी हिंदू

जबलपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने संघ के कार्यकर्ताओं को सामाजिक समरसता का पाठ पढ़ाया. एक मंदिर, एक श्मशान और एक पानी की नीति पर सभी हिंदुओं को चलने की सलाह दी. सभी जातियों के संतों की जयंती और कार्यक्रमों में सभी को जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये जातियां भगवान ने नहीं बनाईं. ये कुछ लोगों की गलतियों की वजह से बनी हैं. जिसके परिणाम भोगने पड़े लेकिन अब इन्हें सुधारने का समय है.

RSS Chief Mohan Bhagwat
एक मंदिर, एक श्मशान और एक पानी की नीति अपनाएं सभी हिंदू

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Published : Apr 19, 2023, 12:13 PM IST

एक मंदिर, एक श्मशान और एक पानी की नीति अपनाएं सभी हिंदू

जबलपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी और संघ के कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. भागवत ने सभी से अपील की कि हिंदू धर्म की सभी जातियों के लोगों के साथ हमें समरसता बढ़ानी होगी. हमें अपनी आदतें बदलनी होंगी और समाज के सभी वर्गों के साथ अपने संबंध बेहतर करने होंगे. उनके साथ रोटी और पानी का व्यवहार बढ़ाना होगा. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हिंदू समाज का एक मंदिर, एक श्मशान और एक पानी होना चाहिए. इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को कोशिश करनी चाहिए ताकि हिंदू धर्म के बीच में जाति की दीवार को खत्म किया जा सके.

गरीबों के मोहल्लों में काम करना होगा :भागवत ने कहा कि शहरी इलाकों में गरीबी और अमीरी के बीच में दीवारें बन गई हैं. गरीबों और अमीरों के मोहल्ले अलग हो गए हैं. आजकल के बच्चे गरीबी और गरीब को जानते ही नहीं हैं. इसलिए अब लोगों को गरीबों के मोहल्ले में जाकर भी काम करना होगा. हिंदू धर्म के संत स्वामी रामानंदाचार्य ने सभी जातियों के लोगों को दीक्षा दी थी. स्वामी रामानंदाचार्य के शिष्य रविदास, कबीर दास, रैदास जैसे 12 शिष्य थे, जिन्हें संत माना जाता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अब इन्हें अपना आदर्श बनाया है, ताकि अलग-अलग जातियों के संतों के माध्यम से सामाजिक समरसता बनाई जा सके.

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जातियां भगवान ने नहीं बनाईं :संघ प्रमुख का कहना है कि सभी लोगों को सभी जाति के संतों के कार्यक्रमों में जाना आना शुरू करना चाहिए. आरएसएस भक्ति मार्ग के जरिए लोगों को इकट्ठा करने की अपील कर रहा है. भागवत का कहना है कि जातियां ईश्वर ने नहीं बनाई थीं, बल्कि बाद में लोगों ने इन्हीं बनाया. पहले हमारे समाज में ऐसी ऊंच-नीच नहीं थी. धर्म ग्रंथों में बहुत सी बातें हैं, जिन्हें अनुसूचित जाति के लोगों ने लिखी हैं लेकिन कुछ लोगों ने अपनी विशिष्टता साबित करने की वजह से ऊंच-नीच की भेद बना दिए. जिसे अब खत्म करने का समय आ गया है.

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