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हाईकोर्ट का आदेश, नर्मदा के किनारों से हटाओं अवैध अतिक्रमण

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद 1 अक्टूबर 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे हुए निर्माण को हटाने के आदेश दिए हैं. युगलपीठ ने अवैध निर्माण के हटाने की वीडियोग्राफी भी करने के आदेश जारी करते हुए कार्यवाही के लिए अधिवक्ता मनोज शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है.

हाईकोर्ट
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Published : Mar 16, 2021, 8:29 PM IST

जबलपुर। दयोदय सेवा केन्द्र द्वारा नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर के दायरे में अवैध रूप से निर्माण कार्य किए जाने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम की तरफ से पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में 75 अतिक्रमण किए गए.

निर्माण कार्य से नदी के प्राकृतिक मार्ग पर पड़ेगा असर

नर्मदा मिशन व समर्थ गौ चिकित्सा केन्द्र के अध्यक्ष शिव यादव की तरफ से दायर याचिका में तिलवारा घाट में नर्मदा तट पर हो रहे निर्माण कार्यों को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया था कि तिलवारा घाट क्षेत्र में दयोदय पशु संवर्धन केन्द्र द्वारा की जा रही खुदाई व निर्माण कार्य से नदी के प्राकृतिक रास्ते पर असर पड़ेगा. इस विषय में संबंधितों से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की गई.

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नर्मदा के किनारे कुल 75 अतिक्रमण पाए गए

हाईकोर्ट ने पूर्व में सुनवाई करते हुए तट से तीन सौ मीटर के भीतर किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए अतिक्रमण के संबंध में रिपोर्ट पेश करने की निर्देश दिए थे. पिछली सुनवाई के दौरान नगर निगम की तरफ से रिपोर्ट पेश की गई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि जबलपुर में साल 2008 के बाद नर्मदा नदी के तीन सौ मीटर दायरे में तिलवारा घाट, ग्वारीघाट, जिलहरी घाट, रामनगर, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण पाए गए हैं. जिसमें से 41 निजी भूमि में, 31 शासकीय भूमि में तथा तीन आबादी भूमि में पाए गए हैं.

याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए. युगलपीठ ने यह भी निर्देश जारी किए है कि निर्माण निर्धारित अवधि के बाद हुआ है, इस संबंध में न्यायालय के समक्ष रिपोर्ट पेश की जाए. याचिका पर अगली सुनवाई 28 अप्रैल को निर्धारित की गई है.

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