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हाई कोर्ट के एडवोकेट राशिद सोहेल सिद्दीकी को MP लोक सेवा आयोग का बनाया गया सदस्य - madhya pradesh political drama

जबलपुर हाईकोर्ट के अनुभवी वकील राशिद सोहेल सिद्धकी ने मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी टेंशन के बीच कहा है कि, विधानसभा में अध्यक्ष का निर्णय ही सर्वोपरि है. बीजेपी को कोर्ट से राहत मिलने की उम्मीद कम ही है.

Rashid Sohail Siddiqui comment on madhya pradesh political drama
संवैधानिक नजरिए से देखे तो सरकार पर कोई संकट नहीं है:राशिद सोहेल सिद्दीकी

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Published : Mar 17, 2020, 1:03 AM IST

Updated : Mar 17, 2020, 7:30 AM IST

जबलपुर। कमलनाथ सरकार ने हाई कोर्ट के एडवोकेट राशिद सोहेल सिद्दीकी को मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया है. राशिद सोहेल सिद्दीकी हाईकोर्ट के एक अनुभवी वकील हैं. वहीं सिद्दीकी ने मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी टेंशन पर बोलते हुए कहा कि, सरकार पर संकट नहीं है, संवैधानिक नजरिए से देखा जाए तो विधानसभा में स्पीकर को असीमित शक्तियां हैं और फ्लोर टेस्ट करवाया जाए या ना करवाया जाए, ये पूरी तरह से विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करता है. इसमें सीधे तौर पर राज्यपाल दखल नहीं दे सकते हैं.

संवैधानिक नजरिए से देखे तो सरकार पर कोई संकट नहीं है:राशिद सोहेल सिद्दीकी

संविधान में राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों के बारे में उल्लेख करते हुए, उन्होंने ये स्पष्ट कहा गया है कि कानून के हिसाब से मध्य प्रदेश विधानसभा में कोई गलती नहीं हुई है, इसलिए यदि बीजेपी राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट गई है तो फैसला विधानसभा अध्यक्ष के पक्ष में ही होना चाहिए. क्योंकि इसका उल्लेख संविधान में है.

पात्र लोगों को नौकरी देने की वकालत

राशिद सोहेल सिद्दीकी का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी के विधायक किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट गए हैं, ये पिटीशन देखने के बाद ही कहा जा सकता है. वहीं राशिद सोहेल सिद्दीकी का कहना है कि शिवराज सरकार के दौरान सरकारी भर्तियों में बहुत बंदरबांट की गई और अपात्र लोगों को नौकरियों के मौके मिले, लेकिन अब कमलनाथ की सरकार है और उन्हें भी मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग का सदस्य बनने का मौका मिला है तो केवल पात्र और काबिल लोगों को ही सरकारी सेवाओं में आने का मौका मिलेगा और उनकी कोशिश होगी कि किसी के साथ भेदभाव ना किया जाए.

एक मौका मिले तो रुठों को मना सकती है सरकार

भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद कमलनाथ सरकार को मौका मिल गया है. यदि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को समय दे दिया तो कमलनाथ रूठे हुए विधायकों को मना सकते हैं, हालांकि ये बात सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी.

Last Updated : Mar 17, 2020, 7:30 AM IST

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