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रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का जिंबाब्वे और श्रीलंका के विश्वविद्यालयों के साथ MOU, शोध और शिक्षा पद्धति होगी साझा - जबलपुर समाचार

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (Rani Durgavati Vishwavidyalaya) के मैनेजमेंट विभाग ने जिंबाब्वे और श्रीलंका के विश्वविद्यालयों से एमओयू किया है. इसके जरिए प्रबंधन संकाय जिंबाब्वे और श्रीलंका के विश्वविद्यालयों के साथ अपने शैक्षणिक अनुभव साझा करेंगे.

रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय

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Published : Oct 6, 2021, 6:30 AM IST

Updated : Oct 6, 2021, 7:48 AM IST

जबलपुर। रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (Rani Durgavati Vishwavidyalaya) के मैनेजमेंट विभाग ने जिंबाब्वे (zimbabwe) और श्रीलंका (Sri Lanka) के विश्वविद्यालयों (Universities) से एमओयू (MOU) किया है. ऐसे में मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग में जबलपुर का प्रबंधन संकाय जिंबाब्वे और श्रीलंका के विश्वविद्यालयों के साथ अपने शैक्षणिक अनुभव साझा करेंगे.

शोध और शिक्षा पद्धति होगी साझा
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर कपिल देव मिश्रा ने इस संबंध में अधिक जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिंबाब्वे और श्रीलंका विश्वविद्यालयों के मैनेजमेंट विभाग से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के मैनेजमेंट विभाग ने यह समझौता किया है कि दुर्गावती विश्वविद्यालय की मैनेजमेंट संकाय अपने तमाम शोध जिंबाब्वे और श्रीलंका के साथ सांझा करेगी. साथ ही जिंबाब्वे और श्रीलंका की शोध और शिक्षा पद्धति से अपने छात्रों को अवगत कराया जाएगा.

प्रबंधन संकाय के साथ हुआ समझौता
डॉ कपिल देव मिश्रा का कहना है कि फिलहाल यह समझौता प्रबंधन संकाय के साथ हुआ है. इसके बाद इसे रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के दूसरे विभाग विज्ञान का आदान प्रदान करेंगे. इसके साथ यदि कोरोना वायरस का संकट खत्म होता है तो दूसरे विभाग भी जिंबाब्वे और श्रीलंका के साथ समझौता करेंगे.

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पहले भी आते रहे हैं विदेशी छात्र
जबलपुर में इसके पहले भी कांगो और केन्या के छात्र पढ़ने के लिए आते थे. वे ज्यादातर कानून की शिक्षा प्राप्त करते थे, लेकिन बीते कुछ सालों से यह सिलसिला बंद सा हो गया है. श्रीलंका और जिंबाब्वे के साथ इस समझौते के बाद हो सकता है कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में एक बार फिर विदेशी छात्रों के आने का सिलसिला शुरू हो सकेगा.

दोनों देशों को मिलेगा एमओयू का फायदा
फिलहाल, दोनों ही विश्वविद्यालय ऑनलाइन तरीके से अपने अध्ययन को साझा करेंगे. इसका फायदा दोनों ही देशों को मिलेगा क्योंकि दोनों की परिस्थितियां अलग अलग है और अलग-अलग परिस्थितियों में ज्ञान का भी विकास अलग अलग तरीके से होता है.

Last Updated : Oct 6, 2021, 7:48 AM IST

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