जबलपुर।देश के बहुसंख्यक हिंदुओं को वर्षों से जिस घड़ी का इंतजार था, अब वह आ गई है. पांच अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे. कन्याकुमारी से कश्मीर तक भगवान राम पूजे जाते हैं. भगवान राम को लोग मर्यादा पुरुषोत्तम मानते हैं. जबलपुर की एक महिला ने 28 साल पहले संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन जाता तब तक वे अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं करेंगी. संस्कारधानी की उर्मिला चतुर्वेदी की ये तपस्या अब जाकर खत्म हुई है, जब 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी जा रही है.
28 साल में नहीं खाया अन्न का एक भी दाना
विजय नगर में रहने वाली 82 साल की उर्मिला चतुर्वेदी की भी तपस्या सबुरी की याद दिलाती है, जहां सबुरी ने प्रभु श्री राम की प्रतीक्षा में ना जाने कितने साल जंगल के रास्ते को फूल से सजाते बिता दिए थे, वहीं उर्मिला ने अपने जीवन के पूरे 28 साल उपवास करते हुए बिताए हैं. 6 दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में विवादित ढांचा गिरा तो उर्मिला चतुर्वेदी ने राम मंदिर निर्माण होने तक अन्य त्याग करने का संकल्प ले लिया, तब उर्मिला चतुर्वेदी 54 साल की थीं, लेकिन तब से अब तक 28 सालों के इस सफर में उर्मिला चुतर्वेदी भगवान राम का नाम जाप करती रहीं और अन्न का एक दाना भी नहीं खाया.
शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाने का दुख
28 सालों से उर्मिला चतुर्वेदी फलाहार पर जीवित हैं. अब अयोध्या में रामलला के जन्म स्थान पर मंदिर बनने की प्रतीक्षा समाप्त हो गई है और 21वीं सदी की 'सबुरी' का संकल्प 5 अगस्त को राम मंदिर के शिलान्यास के साथ ही पूरा होने जा रहा है. इस मौके पर उन्होंने खुशी जाहिर की है. उर्मिला कहती हैं कि वो अयोध्या में रामलला के दर्शन के बाद ही सरयू तट पर अपना 28 साल का उपवास खोलेगीं. हालांकि यह सोचकर उनके आंसू भी निकल आते हैं कि वो कोरोना काल में अपनी ज्यादा उम्र के चलते कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रही हैं.