जबलुपर। मठ-मंदिर से जुड़ी संपत्ति अक्सर विवाद की वजह बन जाती है, जोकि कई बार जानलेवा भी साबित हो जाती है, हाल ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महेंद्र नरेंद्र गिरी की खुदकुशी के पीछे भी ऐसी ही वजहें सामने आई हैं. जबलपुर में भी है ऐसा ही एक मामला चल रहा है, जहां एक संत (Pragya Mission Property Disputes) की मौत के बाद उनकी शिष्या विभा नंद ने खुद को महाराज का उत्तराधिकारी घोषित कर पूरी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है.
स्वामी प्रज्ञानंद महाराज
कटंगी निवासी प्रज्ञानंद (Swami Prgyanand Mahraj ) 30 वर्ष की आयु में ही स्नातकोत्तर करने के बाद गायत्री मिशन से जुड़ गए थे और उन्होंने संन्यास ले लिया था. लंबे समय तक वे गायत्री मिशन से जुड़े रहे, ऐसा बताया जाता है कि गायत्री मिशन में भी उनका काम देश-विदेश से फंड लाने का था. उन्होंने गायत्री मिशन के जरिए कई देशों से फंड एकत्रित भी किया था, बाद में उन्होंने खुद को गायत्री मिशन से अलग कर लिया, लेकिन उन्हें पता था कि देश-विदेश में दानदाता धर्म के लिए पैसे दान करते हैं, स्वामी प्रज्ञानंद धार्मिक कर्मकांड में भी निपुण थे और उन्होंने कई यज्ञ भी करवाए, स्वामी प्रज्ञानंद के शिष्य देश विदेशों में थे, जो दान करते थे, दान के पैसे से प्रज्ञा मिशन की स्थापना की गई और इसके तहत न केवल जबलपुर के कटंगी में 80 एकड़ का आश्रम बनाया गया, बल्कि दिल्ली में एक करोड़ों की लागत से बड़ा आश्रम बना हुआ है, देश के कई शहरों में प्रज्ञा मिशन की संपत्तियां हैं, 15 जून 2020 को स्वामी प्रज्ञानंद महाराज का निधन हो गया.
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प्रज्ञा मिशन की संपत्ति के दो हकदार
जैसे ही महाराज का निधन हुआ, तुरंत ही उनकी संपत्ति पर विवाद शुरू हो गया, महाराज की एक शिष्या विभा नंद ने खुद को महाराज का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और पूरी संपत्ति पर अपना अधिकार जता दिया, विभा नंद लंबे समय से स्वामी प्रज्ञानंद महाराज के साथ थी और उसका दावा है कि स्वामी जी ने खुद इस बात की घोषणा की थी कि उनके बाद मिशन की जिम्मेदारी विभा नंद देखेंगी, इसी बीच स्वामी प्रज्ञानंद महाराज की भतीजी ऋचा सिंह सामने आई और उसने एक वसीयत पेश की, जिसमें वह बता रही है कि स्वामी प्रज्ञानंद महाराज ने मृत्यु के पहले प्रज्ञा मिशन के ट्रस्ट में उन्हें ट्रस्टी बना दिया था और जिस जमीन को विभा नंद गिरी प्रज्ञा धाम की संपत्ति बता रही हैं, वह दरअसल उनकी पुश्तैनी जायदाद है, जिसे प्रज्ञानंद महाराज के भाइयों ने दान किया था. हालांकि, इस जमीन के अलावा भी बहुत सारी संपत्ति मिशन के नाम पर है और हो सकता है कि बैंकों में पैसा भी जमा हो.
मामला थाने तक पहुंचा
फिलहाल ये मामला लड़ाई झगड़े तक पहुंच गया है, आश्रम में पुलिस पहुंच चुकी है, विभा नंद गिरी ने प्रज्ञानंद महाराज के भाइयों को आश्रम से निकाल दिया है और आश्रम पर कब्जा कर लिया है, ऋचा सिंह का कहना है कि यदि उन्हें उनकी पुश्तैनी संपत्ति और ट्रस्टी होने के नाते प्रज्ञा मिशन की संपत्ति नहीं मिली तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगी. संन्यासी की अवधारणा दुनिया के किसी धर्म में नहीं है, संन्यासी सब कुछ छोड़कर संन्यास लेता है और आजकल उल्टा ही हो रहा है, जिसके पास कुछ नहीं होता, वह संन्यासी बन जाता है और अपने पीछे करोड़ों रुपए की संपत्ति छोड़कर विवाद छोड़ जाता है.