जबलपुर।मध्यप्रदेश में कुपोषण धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है, जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. इसी के तहत कुपोषण से बच्चों को मुक्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण वाटिका अभियान चलाया था. जिसके तहत हर आंगनबाड़ी में फलदार वृक्ष लगाया जाना था, जो योजना शुरुआती दौर में ही लापरवाही की भेंट चढ़ गई है.
बच्चों में कुपोषण को खत्म करने के लिए महिला एवं बाल विकास ने करीब 2 साल पहले पोषण वाटिका योजना की शुरुआत की थी. इस योजना में मुनगा, नींबू, पपीता, आंवला जैसे पौधों को आंगनबाड़ी में लगाना था. जब ये पौधे वृक्ष बन जाते हैं तो इन्हीं वृक्षों में लगे हुए फलों को बच्चों को खिलाकर कुपोषण खत्म करने की योजना बनाई थी, लेकिन इस योजना की हकीकत यह निकली कि अप्रैल 2019 के बाद से आज तक इस योजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक और जिले के अधिकारियों ने काम ही नहीं किया है. अप्रैल 2019 में सिर्फ डिंडौरी जिले में योजना के तहत 20 परिवार को पौधे बांटे गए थे, जिनमें से कुछ ही पौधे जीवित हैं.
पूरे प्रदेश में करीब 97 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिसमें से जबलपुर संभाग में ही करीब 17 हजार 350 आंगनबाड़ी दर्ज की गई हैं. वहीं जबलपुर में 2 हजार 483 आंगनबाड़ी पंजीकृत हैं. हजारों की तादाद में आंगनबाड़ी होने के बावजूद भी सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना जिसमें कुपोषण से निपटा जा सकता है,लेकिन इस योजना में न तो अधिकारियों का मन लगा और न ही कर्मचारियों का जिसके चलते पोषण वाटिका अभियान गुम हो गया है.
पोषण वाटिका में लगाए गए पौधों की जीवित संख्या संभाग में कुछ इस तरह से है.
- मुनगा- 1 लाख 47 हजार पौधे लगाए गए थे, जिसमें की अभी 93 हजार पौधे जीवित है.
- नींबू- 43 हजार 512 नींबू के पौधे लगाए गए थे, जिसमें से 36 हजार 336 पौधे जीवित हैं.
- आंवला- 36 हजार 965 आंवला के पौधों में से 28 हजार पौधे जीवित है.
- महुआ- 22 हजार 669 पौधे लगाए गए थे, जिनमें से 19 हजार पौधे जीवित है.
- कटहल- 21 हजार पौधे में से 17 हजार पौधे जीवित है.