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कुपोषण को मिटाने वाली पोषण वाटिका चढ़ी लापरवाही की भेंट, ऐसे में कैसे मिटेगा कुपोषण ? - What is Nurture Vatika Yojana

कुपोषण से निपटने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण वाटिका अभियान चलाया था. जिसके तहत हर आंगनबाड़ी में फलदार वृक्ष लगाया जाना था, जो योजना शुरुआती दौर में ही लापरवाही की भेंट चढ़ गई.

poshan vatika yojana stalled due to negligence in jabalpur
पोषण वाटिका चढ़ी लापरवाही की भेंट

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Published : Jul 8, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 7:39 PM IST

जबलपुर।मध्यप्रदेश में कुपोषण धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है, जिससे निपटने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. इसी के तहत कुपोषण से बच्चों को मुक्त करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने पोषण वाटिका अभियान चलाया था. जिसके तहत हर आंगनबाड़ी में फलदार वृक्ष लगाया जाना था, जो योजना शुरुआती दौर में ही लापरवाही की भेंट चढ़ गई है.

पोषण वाटिका चढ़ी लापरवाही की भेंट

बच्चों में कुपोषण को खत्म करने के लिए महिला एवं बाल विकास ने करीब 2 साल पहले पोषण वाटिका योजना की शुरुआत की थी. इस योजना में मुनगा, नींबू, पपीता, आंवला जैसे पौधों को आंगनबाड़ी में लगाना था. जब ये पौधे वृक्ष बन जाते हैं तो इन्हीं वृक्षों में लगे हुए फलों को बच्चों को खिलाकर कुपोषण खत्म करने की योजना बनाई थी, लेकिन इस योजना की हकीकत यह निकली कि अप्रैल 2019 के बाद से आज तक इस योजना में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पर्यवेक्षक और जिले के अधिकारियों ने काम ही नहीं किया है. अप्रैल 2019 में सिर्फ डिंडौरी जिले में योजना के तहत 20 परिवार को पौधे बांटे गए थे, जिनमें से कुछ ही पौधे जीवित हैं.

पूरे प्रदेश में करीब 97 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिसमें से जबलपुर संभाग में ही करीब 17 हजार 350 आंगनबाड़ी दर्ज की गई हैं. वहीं जबलपुर में 2 हजार 483 आंगनबाड़ी पंजीकृत हैं. हजारों की तादाद में आंगनबाड़ी होने के बावजूद भी सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना जिसमें कुपोषण से निपटा जा सकता है,लेकिन इस योजना में न तो अधिकारियों का मन लगा और न ही कर्मचारियों का जिसके चलते पोषण वाटिका अभियान गुम हो गया है.

पोषण वाटिका में लगाए गए पौधों की जीवित संख्या संभाग में कुछ इस तरह से है.

  • मुनगा- 1 लाख 47 हजार पौधे लगाए गए थे, जिसमें की अभी 93 हजार पौधे जीवित है.
  • नींबू- 43 हजार 512 नींबू के पौधे लगाए गए थे, जिसमें से 36 हजार 336 पौधे जीवित हैं.
  • आंवला- 36 हजार 965 आंवला के पौधों में से 28 हजार पौधे जीवित है.
  • महुआ- 22 हजार 669 पौधे लगाए गए थे, जिनमें से 19 हजार पौधे जीवित है.
  • कटहल- 21 हजार पौधे में से 17 हजार पौधे जीवित है.

यही हाल कैथा, करौंदा, अमरूद, आम और अन्य पौधों का भी है.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और प्रदेश अध्यक्ष विद्या खंगार बताती हैं कि पोषण वाटिका योजना के तहत उन्हें पौधे तो जरूर मिले थे, लेकिन ज्यादातर पौधे गुणवत्ताविहीन थे. जिसके चलते ये पौधे ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सके.

क्या है पोषण वाटिका योजना

करीब 2 साल पहले महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनबाड़ी में दर्ज कुपोषित बच्चे और माताओं को उचित आहार मिले इसके लिए पोषण वाटिका योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य था कि आंगनबाड़ी में ही माताओं और शिक्षकों को हरी सब्जियां उपलब्ध हो सकें और इन सब्जियों को खाकर बच्चे और मां तंदरुस्त रहें.

जबलपुर महिला एवं बाल विकास अधिकारी एमएल मेहरा का कहना है कि पोषण वाटिका योजना के तहत विभाग के निर्देशानुसार आंगनबाड़ी में पौधे बांटे गए थे, लेकिन वर्तमान में उनकी स्थिति क्या है ये पता करवाया जाएगा.

Last Updated : Jul 8, 2020, 7:39 PM IST

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