जबलपुर।मध्यप्रदेश के जबलपुर के एक छात्र ने अपनी उपलब्धि से न केवल अपने परिवार या स्कूल का नाम रोशन किया है, बल्कि शहर और प्रदेश को भी गौरवान्वित किया है. पूरे देश में भ्रष्टाचार मुक्त भारत-विकसित भारत विषय पर सर्वश्रेष्ठ निबंध लेखन के लिए जबलपुर के अक्षत पांडेय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरस्कृत किया है. अक्षत कहते हैं कि यह उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल था जब देश के प्रधानमंत्री ने उनकी तारीफ करते हुए पुरस्कार प्रदान किया. (pm rewarded jabalpur student in delhi)
पीएम मोदी ने किया पुरस्कृत:केंद्रीय सतर्कता आयोग, नई दिल्ली द्वारा अक्टूबर माह में देश के सभी सीबीएसई स्कूलों के लिए एक निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया था. इसका विषय था भ्रष्टाचार मुक्त भारत-विकसित भारतवर्ष. इस प्रतियोगिता में देश भर के स्कूलों से लगभग 7 लाख 65 हजार विद्यार्थियों ने भाग लिया था. इन सभी विद्यार्थियों में जबलपुर के लिटिल वर्ल्ड स्कूल, तिलवारा के कक्षा 12वीं के छात्र अक्षत पांडेय के निबंध को देश भर के सर्वश्रेष्ठ 5 निबंधों में प्रथम स्थान पर चुना गया. सीवीसी द्वारा आयोजित इस निबंध लेखन प्रतियोगिता में सीबीएसई के सभी पांचों जोन से एक-एक विजेता चुना गया है.अक्षत के अलावा बाकी सभी चार विजेता लड़कियां हैं.अक्षत सभी पांच जोन में पहले नंबर पर रहा. अक्षत पांडेय को इस उपलब्धि के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग ने दिल्ली के विज्ञान भवन में गुरुवार 3 नवम्बर को आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुरस्कार दिया. मोदी ने अक्षत पांडेय को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत किया.
देश भर में पहला स्थान पाने वाला अक्षत का निबंध : 'भ्रष्टाचार मुक्त भारत-विकसित भारत' 'यहां तहजीब बिकती है, यहां फरमान बिकते हैं, जरा तुम दाम तो बोलो, यहां ईमान बिकते हैं. भ्रष्टाचार शब्द का अर्थ है - ऐसा आचरण जो नैतिकता के विरुद्ध हो अनुचित हो. जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था के मान्य नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है. आज दुनिया के कई देश भ्रष्टाचार की समस्या का सामना कर रहे हैं, लेकिन भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में यह समस्या बड़ी भयानक है. विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार का आकलन करने वाली स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संस्था 'ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार वर्ष 2014 में जारी रिपोर्टस में 175 देशों की में भारत का स्थान 85वां है. यह रिपोर्ट करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPE) के आधार पर बनाई गई है.
रिश्वत लेना, खाद्य पदार्थों में मिलावट, मुनाफाखोरी, कालाबाजारी, अनैतिक धन संग्रह, कानून की अवहेलना करके अपना स्वार्थ सिद्ध करना ये सब भ्रष्टाचार के विविध रूप हैं. किंतु भारत में भ्रष्टाचार को राजनीतिक और प्रशासकीय संरक्षण प्राप्त है जो इसकी विकरालता की मूल वजह है. देश के अधिकारी और राजनेता लोगों को विभिन्न सरकारी सेवाएं प्रदान करने के लिए बेझिझक रिश्वत लेते हैं. सरकारी दफ्तरों में रिश्वत लेना और सत्ता में बैठे लोगों के लिए काम करना ये एक आम प्रवृत्ति बन गई है. भ्रष्टाचार भारत में कोई नई बात नहीं है. चाणक्य ने अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र में लिखा है 'जल में रहने वाली मछली कब जल पी लेती है किसी को पता नहीं चलता कब है.' वैसे ही प्रशासनिक पदों पर बैठे अधिकारी पैसों की चोरी कर लेते हैं आंकना मुश्किल होता है. भ्रष्टाचार प्रच्छन्न देशद्रोह है, जो हमारे देश के हरे भरे वक्ष को दीमक के समान खोखला बना रहा है. स्वतंत्रता के बाद से 70 वर्षों से चली आ रही व्यवस्था में भ्रष्टाचार को हमारी मौन स्वीकृति मिल चुकी है. गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, भाई भतीजावाद, लालच आदि भ्रष्टाचार के अनेक कारण हैं, लेकिन इसका मूल संबंध हमारे चरित्र से ही है. भ्रष्टाचार का मूल कारण लाभ ही है.