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टैक्स में कमी से घट सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दामः चार्टर्ड अकाउंटेंट

मध्य प्रदेश में लगातार बढ़ रहे डीजल-पेट्रोल के दाम पर चार्टर्ड अकाउंटेंट अनिल अग्रवाल का कहना है कि अगर सरकार टैक्स कम कर दे, तो पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी आ सकती है.

petrol pump
पेट्रोल पंप

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Published : Feb 15, 2021, 7:19 PM IST

जबलपुर।प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में भी अब पेट्रोल के दाम शतक पार जाने की तैयारी में है. फिलहाल शहर में पेट्रोल के दाम 96.95 रुपए और डीजल के दाम 87.53 रुपए हो गए हैं. बीते कुछ दिनों से पेट्रोल-डीजल के दाम रोजाना बढ़ रहे हैं. इस पर जबलपुर के चार्टर्ड अकाउंटेंट अनिल अग्रवाल का कहना है कि पेट्रोल-डीजल पर 66 फीसदी टैक्स लगता है. इसमें राज्य 34 फीसदी टैक्स लेता है. बाकी केंद्र सरकार लेती है. अगर सरकार टैक्स कम कर दे, तो पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी आ सकती है.

चार्टर्ड अकाउंटेंट अनिल अग्रवाल

चार्टर्ड अकाउंटेंट अनिल अग्रवाल का दावा है कि पेट्रोल की मूल कीमत 33 रुपए रहती है. बाकी पूरा पैसा टैक्स का रहता है. इस वजह से इसके दाम इतने ज्यादा हैं. उनका कहना है कि जैसे-जैसे क्रूड के दाम बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे सरकार का खजाना भी बढ़ता जा रहा है क्योंकि जिस तरीके से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते हैं उसी तरीके से प्रतिशत के हिसाब से टैक्स की भी बढ़ोतरी होती है. इसका पूरा भार जनता पर पड़ता है.

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असम सरकार ने घटाए दाम

अनिल अग्रवाल का कहना है कि असम में पेट्रोल और डीजल के दामों में 5 रुपए की कमी है, क्योंकि असम में चुनाव हैं. इसलिए यहां पर दामों में कमी की गई है. अगर असम में दामों में कमी की जा सकती है, तो मध्य प्रदेश में क्यों नहीं. उनका कहना है कि बजट में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल के दाम ना बढ़ाकर इंफ्रास्ट्रक्चर से बढ़ाया था लेकिन इससे पेट्रोल-डीजल के दामों पर सीधी कोई राहत नहीं मिली है और न ही इससे आम आदमी को कोई फायदा मिला है.

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जब क्रूड सस्ता था तब सरकार ने खूब पैसा कमाया

उन्होंने कहाजिस तरीके से क्रूड आयल के दाम बढ़ रहे हैं, उससे ऐसा लगता है कि जल्द ही पेट्रोल और डीजल 100 रुपए के राम को छू लेगा. वहीं आर्थिक मामलों के जानकार कहते हैं कि सरकार चाहे तो राहत दे सकती है, क्योंकि जब क्रूड के दाम कम थे तब सरकार ने बहुत मुनाफा कमाया है. अब क्रूड के दाम ज्यादा हैं, तो सरकार अपने हाथ पीछे क्यों कर रही है. पेट्रोल-डीजल की महंगाई केबल पेट्रोल डीजल तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसका असर पूरे समाज के दूसरे सामानों पर भी पड़ता है.

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