जबलपुर।जबलपुर हाईकोर्ट ने भोपाल मास्टर प्लान-2031 के खिलाफ दायर याचिका सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस व्ही के शुक्ला की युगलपीठ ने अंतिम मोहलत देते हुए याचिकाकर्ता को रिज्वाइंडर पेश करने के लिए समय दे दिया है. साथ ही राज्य सरकार की ओर से भी जवाब पेश कर दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को होगी.
सेवानिवृत्त डीजीपी अरुण गुर्टु ने दायर की जनहित याचिका
भोपाल सिटीजन फोरम की ओर से सेवानिवृत्त डीजीपी अरुण गुर्टु ने जनहित याचिका दायर कर भोपाल के मास्टर प्लान-2031 को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि टीएनसीपी संचालक ने 10 जुलाई 2020 को भोपाल का मास्टर प्लान-2031 को अधिसूचित किया है. याचिका में कहा गया है कि भोपाल के नये मास्टर प्लाॅन में 200 से अधिक गांव को शामिल किया जा रहा है. इसके अलावा आसपास बाघ के लिए संरिक्षत क्षेत्र और तालाब के जलग्रहण क्षेत्र को शामिल किया जा रहा है. याचिका में यह भी कहा गया है कि आपत्तियों के निराकरण के लिए जो कमेटी गठित की गयी है,उसका वैधानिक तौर पर कोई औचित्य नहीं है.
बाघों के कुनबे वाले वन क्षेत्र को आवासीय घोषित कर दिया
मास्टर प्लान में पूरे ग्रीन बेल्ट को कमर्शियल कर दिया है. बाघों के कुनबे वाले वन क्षेत्र को आवासीय घोषित कर दिया गया है. यह प्लानिंग वर्ष 2041 में भोपाल की आबादी 36 लाख होने का आंकलन करते हुए की गई है, जबकि 2031 तक भोपाल की आबादी 26 लाख होने का अनुमान है. याचिका में ये भी कहा गया है कि मास्टर प्लान के खिलाफ 1700 लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई थी. भोपाल में कर्फ्यू होने की वजह से ज्यादातर लोगों को मास्टर प्लान का ड्राफ्ट नहीं मिल पाया. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता आर के वर्मा और याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पैरवी की.