जबलपुर। सतना जिले में बिरला ग्रुप (Birla Group) की सीमेंट फैक्ट्री द्वारा किसानों की अधिग्रहित की गई जमीन का न तो उन्हें अभी तक उचित मुआवजा मिला और न ही उन्हें नौकरी मिली. उचित मुआवजा नहीं मिलने व नौकरी नहीं दिये जाने को किसानों ने हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) में चुनौती दी है. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले में अनावेदकों को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने का फरमान सुनाया है.
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अखिल भारतीय किसान सभा जिला परिषद सतना के सचिव रामसरोज कुशवाहा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि बिरला ग्रुप की रिलायंस सीमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (Reliance Cement Company Private Limited) ने सीमेंट फैक्ट्री के लिये सैकड़ों किसानों की जमीन अधिग्रहित की थी, लेकिन उनकी सिंचित जमीन की जगह असिंचित जमीन का मुआवजा दिया गया. इतना नहीं उन्हें नौकरी दिये जाने का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें कांट्रैक्ट पर नौकरी दी गई, जिनमें से कई लोगों को दो-तीन माह में ही नौकरी से अलग कर दिया.
आरोप है कि किसानों के साथ विश्वासघात कर उनकी सिंचित जमीनें अधिग्रहीत की गई हैं, जोकि अवैधानिक है. इस मामले में सचिव व उप सचिव इंडस्ट्रियल पॉलिसी इंवेस्टमेंट प्रोमोशन व सतना कलेक्टर सहित आरसीसीपीएल को पक्षकार बनाया गया है, मामले की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पीसी चांडक व उत्तम माहेश्वरी ने पक्ष रखा.