जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने एनएचएम के विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में आरक्षण का अक्षरश: पालन नहीं किये जाने का आरोप लगाने वाले मामले को गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस एके श्रीवास्तव की युगलपीठ ने उक्त भर्तियों पर लगी याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखे जाने के आदेश दिये हैं. साथ ही अनावेदकों को नोटिस जारी कर 16 अगस्त तक जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. विस्तृत आदेश फिलहाल प्रतीक्षित है.
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दमोह निवासी गंजेन्द्र यादव व सागर निवासी अजय सिंह, योगेन्द्र सिंह गुर्जर की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि एनएचएम में हुई करीब पांच हजार पदों पर भर्तियों में घालमेल हुआ है. आवेदकों का कहना है कि उक्त प्रकिया में आरक्षण का पालन नहीं किया गया है. उक्त भर्तियों में ओबीसी को 27 फीसदी की जगह 6.6 फीसदी आरक्षण व ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी के स्थान पर 22.8 फीसदी आरक्षण दिया गया है, जोकि अवैधानिक है.
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने तर्क दिया कि गलत अभिमत के कारण ओबीसी का 13 फीसदी आरक्षण होल्ड किया गया है, जबकि ईडब्ल्यूएस में नियुक्तियां निर्णय के अधीन रखी गई हैं, उक्त स्थिति ओबीसी में भी लागू होनी थी, लेकिन सरकार ने स्वयं ही 13 फीसदी आरक्षण को होल्ड किये जाने का आवेदन पेश किया था. आरोप है कि व्यापक पैमाने पर भेदभाव कर आरक्षण नियमों सहित भर्ती नियमों को मनमाने रूप से लागू किया गया है.
इस मामले में प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर, नेशनल कमीशन बैकवर्ड क्लास व एनएचएम की डायरेक्टर छवि भारद्धाज को पक्षकार बनाया गया है. मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद न्यायालय ने एनएचएम की समस्त नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखने के आदेश देते हुए अनावेदकों को जवाब पेश करने का आदेश जारी किया है. इस मामले में अधिवक्ता विनायक शाह ने भी पक्ष रखा.