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दमोह उपचुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमण से मरने वालों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग - कोरोना से मरने वालों के लिए मुआवजा

दमोह उपचुनाव में ड्यूटी के दौरान कोरोना से हुई मौतों के मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. याचिककर्ता ने मृतकों के परिजनों को एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है. सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जान गंवाने वालों की लिस्ट मांगी है, साथ ही अगली सुनवाई 26 जुलाई निर्धारित की है.

jabalpur high court
जबलपुर हाईकोर्ट

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Published : Jul 9, 2021, 7:27 PM IST

जबलपुर।दमोह उपचुनाव में ड्यूटी करने वाले 100 शासकीय कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से हुई मौत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि मृतक शासकीय कर्मचारियों के आश्रितों को मुआवजा राशि भी प्रदान नहीं की गयी है.

अगली सुनवाई 26 जुलाई को
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक तथा जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता को मृत शासकीय कर्मचारियों की सूची पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिका पर अगली सुनवाई 26 जुलाई को निर्धारित की गयी है.

100 कर्मचारियों की कोरोना से हुई मौत
डॉ. जया ठाकुर की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया कि दमोह उपचुनाव के दौरान चुनाव ड्यूटी करने वाले लगभग 100 शासकीय कर्मचारियों की कोरोना से मौत हुई है. इसमें 66 कर्मचारी शिक्षक के पद पर कार्यरत थे.

आश्रितों को नहीं मिला मुआवजा
अखबार में प्रकाशित खबर में इस बात की पुष्टि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा की गयी है. याचिका में कहा गया कि चुनाव ड्यूटी में कोरोना संक्रमण से पीड़ित होने के कारण जिन शासकीय कर्मचारियों की मौत हुई है, उनके आश्रितों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया गया है.

चुनाव आयोग ने कही थी आर्थिक मदद की बात
चुनाव आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार कोरोना से मृत्यु होने पर 30 लाख रुपये की आर्थिक सहायत देने की बात कही गयी थी. याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार द्वारा कोरोना वॉरियर्स को एक करोड़ दिये जा रहे है. वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने भी इस संबंध में निर्णय लिया है.

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याचिका में मांग की गयी कि उपचुनाव में जिन शासकीय कर्मचारियों की मौत हुई है, उनके परिजनों को एक करोड़ रुपये की आर्थिक मदद व शासकीय नौकरी प्रदान की जाये. याचिका में केन्द्र व राज्य सरकार सहित केन्द्रीय व राज्य चुनाव आयोग को अनावेदक बनाया गया था. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने पैरवी की.

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