जबलपुर। वीगन डाइट के बारे में आपने भी काफी सुना होगा. इन दिनों वीगन डाइट काफी फेमस हो रहा है. वहीं शहर के कुछ चुनिंदा युवाओं ने वीगन बनना स्वीकार किया है और उनका दावा है कि वे वीगन बन चुके हैं और वह वीगन बनकर खुद को अच्छा महसूस कर रहे हैं, तो आखिर क्या है वीगन? वीगन आहार में जानवरों से मिलने वाले किसी भी तरह के उत्पाद मांस, डेयरी, अंडा, शहद और घी को शामिल नहीं किया जाता. दुनिया भर में लोग अब अपनी सेहत, पशु कल्याण और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए वीगन आहार की तरफ मुड़ रहे हैं और वीगनिज्म को अपना रहे हैं.
वीगन सोसाइटी क्या है?
दरअसल आपने सुना होगा कि कुछ लोग वेजिटेरियन होते हैं मतलब शाकाहारी लेकिन जरूरी नहीं है कि जो शाकाहारी है वह पशुओं को किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचा रहा. शाकाहार में दूध भी शामिल है दूध, दही पनीर और दूध से बने हुए दूसरे उत्पाद शाकाहार में गिने जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इसी दूध की वजह से गाय, भैंस और दूध देने वाले दूसरे जानवरों पर अत्याचार किया जाता है. इनके प्राकृतिक जीवन को छीन लिया गया है. इसी तरीके से शहद, शाकाहार और दवा में इस्तेमाल की जाती है. लेकिन कुछ लोगों का मानना है की शहद शाकाहारी नहीं है. चमड़े से बने हुए उत्पाद, ऊन से बने हुए उत्पाद का कुछ लोग इस्तेमाल नहीं करते मतलब बहुत स्पष्ट है, कि वीगन वह लोग होते हैं जो ऐसी किसी चीज का इस्तेमाल नहीं करते जिसमें किसी जानवर, पशु-पक्षी का शोषण किया गया, हो या फिर उसकी हत्या की गई हो. ऐसे लोग वीगन कहलाते हैं.
74 साल पहले हुई शुरुआत
वीगन सोसाइटी(वीगनिज्म) की शुरुआत यूनाइटेड किंगडम से हुई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इस सोसाइटी से पूरे दुनिया में लोग जुड़ते जा रहे हैं. जबलपुर में भी कुछ युवाओं ने वीगन होना स्वीकार किया है. इनका मानना है कि शुरुआत में यह कठिन होता है लेकिन धीरे-धीरे इसकी आदत हो जाती है.