जबलपुर। शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर चरगवां रोड पर 12 से ज्यादा गांव के लोग सफेद डस्ट से परेशान हैं. इस इलाके में सफेद पत्थर की चट्टानें हैं. जिन्हें यहां स्थित फैक्ट्री में पीसकर बारीक किया जाता है. इतना बारीक कि पत्थर डस्ट बनकर हवा में उड़ने लगते हैं. इसका इस्तेमाल टेलकम पाउडर समेत मेडिसिन, रंगोली, पेंट इंडस्ट्री में किया जाता है. एक तरफ इस फैक्ट्री से इतने महत्वपूर्ण उत्पाद तैयार किए जाते हैं, तो वहीं इससे निकलने वाली डस्ट लोगों को कष्ट दे रही है. मजदूरों के फेंफड़ों को ये डस्ट नुकसान पहुंचा रही है, तो आस-पास के लोगों की नाक में भी दम कर रखा है.
कैसे होता है इस फैक्ट्री में निर्माण कार्य
सबसे पहले खदानों से पत्थर खोदा जाता है. इसके बाद इसे बड़ी-बड़ी मशीनों में पीसने के लिए डाल दिया जाता है. लेकिन इस दौरान ये मशीनें डस्ट पार्टिकल के रूप में धुआं छोड़तीं हैं. जो उड़कर आस-पास के खेतों और घरों पर सफेद चादर बनकर छा जाता है. इसकी वजह से फसलें तो खराब हो रहीं हैं, लोगों को कई गंभीर बीमारियां भी हो रहीं हैं.
मजदूरों कोसबसे ज्यादा खतरा
देश में लेबर लॉ की स्थिति वैसे ही खराब है. फैक्ट्रियों में मजदूरों की सुरक्षा इंतजामों की स्थिति किसी से छुपी नहीं हुई है. इस फैक्ट्री में भी मजदूरों की हालत भी दयनीय ही है. मजदूर हवा के जरिए इन डस्ट पार्टिकल को अपने फैफड़ों में ले रहे हैं. जिससे श्वास संबंधी गंभीर बीमारियां हो रहीं हैं. इससे मजदूरों का शारीरिक विकास रुक जाता है. कई लोगों की कम उम्र में ही मौत हो जाती है. आस-पास के ग्रामीण बताते हैं कि इस इलाके में बहुत सारे मजदूरों की मौत टीवी जैसी बीमारी से होती है.