जबलपुर। शहर के अलग-अलग वेयरहाउस में करीब 20 लाख क्विंटल धान रखी हुई है. जिसकी कीमत करीब 350 करोड़ रुपए बताई जा रही है. अब यह धान सरकार के गले की हड्डी बन गई है. जिसे सरकार न तो बेच पा रही है और न ही इसका चावल बनाया जा सकता है. अब इस धान पर सियासत भी शुरु हो गई है. बीजेपी विधायक ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस शासनकाल में घटिया धान की खरीदी हुई थी, जिसका चावल बनाने के बाद गरीबों को बांटा जाना था.
नेताओं के दबाव में की गई खरीदी
पनागर विधानसभा से बीजेपी विधायक इंदु तिवारी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार के दौरान जबलपुर में राजनीतिक हस्तक्षेप से घटिया धान की खरीदी की गई. विधायक इंदु तिवारी का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों से जानकारी ली, जिसमें सामने आया कि कांग्रेस के शासनकाल में नेताओं के दबाव के कारण घटिया धान की खरीदी की गई. इस धान के एवज में 350 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया. अब समस्या यह है कि इस घटिया धान को चावल बनाने वाली कोई भी मिल नहीं ले रही हैं क्योंकि इससे टूटा हुआ लाल चावल निकल रहा है.
कुछ दिनों पहले बालाघाट से शिकायत सामने आई थी कि गरीबों को ऐसा चावल बांटा जा रहा है जिसका इस्तेमाल जानवरों के खाने के काम में आता है. शहर में रखी ये धान भी घटिया धान है. अगर इस धान का चावल बनाया गया तो उसकी क्वालिटी खराब होगी. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार इसे बेच भी नहीं सकती और इससे गरीबों को बांटने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है.
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