जबलपुर।मौसम (Weather) के अनुरूप बारिश (Rain) वाले बादलों ने इस बार महाकौशल (Mahakoshal) को बड़ा ही सताया है, आलम यह है कि महाकौशल के जिलों में इस बार कम बारिश के चलते किसान (Farmers) परेशान हैं, वहीं अब स्थिति ऐसी बन रही है कि बादलों की बेरुखी के बीच जिले में सूखे जैसे हालात बन रहे हैं, मानसून के जल्द आने के बाद भी जिले में अच्छी बारिश की खेप के लिए तरस गए है.
उम्मीद से कम हुई बारिश
जुलाई में वर्षा कम होने के बाद अगस्त में उम्मीद की जा रही थी कि अच्छी बारिश होगी, पर अब अगस्त के बाद किसान सितंबर से उम्मीद लगाए बैठे हैं, उधर कम बारिश के चलते किसानों की पूरी फसल बर्बाद हो गई है. हजारों रुपए खर्च करने के बाद भी किसानों की फसल सूखने की कगार में पहुंच गई है, ऐसे में किसानों ने अब सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
किसानों की मेहनत पर फिरा पानीप्रदेश के जबलपुर सहित आसपास के तमाम जिलों में इस वर्ष जो बारिश हुई है वह नाकाफी है, हर साल उम्मीद की तरह इस बार भी किसानों ने अपने-अपने खेतों में धान की फसल लगाई थी, लेकिन समय से बारिश न होने के कारण किसानों की फसल पीली पड़ने लगी. साथ-साथ खराब हो गई, पानी ना मिलने के चलते किसानों की फसल सूखने की कगार पर पहुंच गई है,जैसे तैसे उम्मीद थी कि बरगी बांध से किसानों को पानी मिलेगा पर यह पानी भी उन किसानों के खेत तक पहुंच रहा है जहां पर कि नहर है, ऐसे में वह किसान आज भी इन्द्र देव पर उम्मीद लगाए बैठे है.
पर्याप्त पानी के बाद भी सूखाजिले के डिंडोरी-मंडला सहित आसपास के शहरों में भले ही पर्याप्त बारिश हुई हो पर अच्छी बारिश से जबलपुर अछूता रह गया हैं. आलम यह है कि इस साल जिला सूखे की दहलीज पर है. अगस्त माह में सिर्फ 3 इंच ही शहर में बारिश दर्ज की गई है. इस बार शहर में औसत से करीब 45% कम बारिश हुई है. जबलपुर में अगर बात की जाए अगस्त माह की तो सिर्फ 3:30 इंच बारिश ही इस माह हुई है.ऐसे में अब अगस्त माह बीत जाने के बाद अंतिम दौर की सितंबर माह की बारिश से ही किसान उम्मीद लगाए हुए हैं, इधर बरगी बांध पानी से लबालब भरा हुआ जरूर है, पर बांध का पानी भी कब तक जबलपुर सहित आसपास के जिलों की पूर्ति करेगा इस पर भी बड़ा सवाल उठ रहा है, हालांकि बरगी बांध प्रबंधन का कहना है कि बांध में पर्याप्त पानी है और यह पानी लगातार किसानों के अलावा पीने के लिए शहर वासियों को दिया जा रहा है.
अगस्त बीता पर नहीं खुले बरगी बांध के गेट हर साल जहां अगस्त माह में ही बरगी बांध के गेट खुल जाते थे, पर अब तो सितंबर माह में भी बांध के गेट खुलने के उम्मीद नहीं नजर आ रही.
बरगी बांध जलाशयबरगी बांध का जो केचमेंट एरिया है वह है 14,500 स्क्वायर किलोमीटर का है, पर इस वर्ष पूर्व साल की अपेक्षा बारिश बहुत ही कम हुई है, लिहाजा बरगी बांध का जो जल ग्रहण क्षेत्र है, जहां से की बाढ़ का पानी आता है. वहां भी बारिश अपेक्षा के मुताबिक बहुत ही कम हुई है, मंडला-डिंडोरी-जबलपुर सहित आसपास के जिलो में अभी तक 24 इंच ही बारिश दर्ज की गई है, ऐसे में अब कम बारिश के चलते निश्चित रूप से किसान के सामने पानी की समस्या आ गई है, हालांकि बरगी बांध प्रबंधन का कहना है कि बरगी बांध से किसान को फसलों के अलावा पीने के उपयोग के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी दिया जा रहा है, और आने वाले समय में भी पानी की कहीं से भी कमी नहीं होगी.
55 घनमीटर प्रति सेकंड छोड़ा जा रहा पानी
बरगी बांध से रोजाना ही सैकड़ों घन मीटर पानी छोड़ा जा रहा है, बांध नियंत्रण प्रभारी एस.एस रोहित की मानें तो बायीं तट नहर से 19 घनमीटर प्रति सेकंड तो दायीं तट से 55 घन मीटर प्रति सेकंड पानी छोड़ा जा रहा है. इतना ही नही नर्मदा घाटी से भी 31 घनमीटर से पानी की निकासी हो रही है, इसके अलावा किसानों को पानी तो दिया जा रहा है. साथ ही विद्युत उत्पादन के लिए भी एक टरबाइन को 12 घंटे चलाया जा रहा है. हालांकि कम बारिश के चलते निश्चित रूप से यह बात भी सामने आ रही है कि किसानों को पर्याप्त पानी तो दिया जा ही रहा है पर आने वाले समय में कम बारिश के चलते विद्युत उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होगा.
कम बारिश के चलते पानी की कमी
बरगी बांध नियंत्रण प्रभारी बताते हैं कि हर साल की अपेक्षा इस वर्ष बारिश बहुत ही कम हुई है. ऐसे में जहां बरगी बांध में पानी का जलभराव 422.50 मीटर होना चाहिए था, जोकि कम बारिश के चलते वर्तमान में 420.20 मीटर ही पानी है. जिसके कारण अनुमान लगाया जा रहा है, कि इस वर्ष अगर आने वाले मौसम में बारिश नहीं हुई तो निश्चित रूप से कम बारिश के चलते लोगों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है.
जबलपुर में बन चुकी है सूखे की स्थिति
बरगी बांध नियंत्रण के उपयंत्री बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि सूखे की स्थिति जबलपुर में पहली बार बनी हुई है. इससे पहले भी लगातार 3 साल रही है, इसके बाद फिर 2015-2017 में भी इस तरह के हालात बने थे कि बरगी बांध में कम बारिश के चलते केचमेंट एरिया कम हुआ और बांध के गेट नही खोले गए, लिहाजा अभी भी उम्मीद जताई जा रही है कि अगर बारिश होती है तो निश्चित रूप से बारिश की अच्छी स्थिति बन सकती है. पर अगर बारिश नहीं हुई तो यह छठवीं बार ऐसा होगा की बरगी बांध के गेट नहीं खुलेंगे.
सूखे की चपेट में फसल
धान की फसल के अलावा मक्के की फसल के लिए भी पानी की अधिक आवश्यकता पड़ती है. लिहाजा ऐसे समय में किसानों को राहत देने के लिए बरगी बांध से लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. यह पानी उन्हीं किसानों के खेत तक ही पहुंच पा रहा है जहां पर की नहर की व्यवस्था है. जिले के आधे से ज्यादा किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाने के चलते उनकी फसल सूखने की कगार में पहुंच गई है.