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महामारी के बीच अपनों ने छोड़ा अपनों का साथ, समाजसेवी और वृद्ध आश्रम बने सहारा - मध्यप्रदेश लेटेस्ट न्यूज

इस कोरोना काल में अब यह बेबस बुजुर्ग घर से बाहर रहकर फुटपाथ पर पड़े हुए हैं, इतना ही नहीं कई बुजुर्ग तो ऐसे भी देखे गए जो कि दूसरे शहरों से आकर भीख मांग कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. इस बीमारी के बचाव में बहुत से लोगों ने अपने बूढ़े मां-बाप को सड़कों पर लावारिस हाल में छोड़ दिया है.

Sahara became a social and old ashram
समाजसेवी और वृद्ध आश्रम बना सहारा

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Published : Jul 22, 2020, 9:49 PM IST

जबलपुर। कोरोना वायरस के कारण फैले घातक संक्रमण ने अब अपनों को भी अपनों से दूर कर दिया है. इस बीमारी के कारण बहुत से लोगों ने अपने माता-पिता को सिर्फ इसलिए घर से बाहर निकाल दिया कि कहीं वह भी या फिर उनके बच्चे आने वाले समय में कोरोना की चपेट में ना आ जाएं. इसके अलावा कोरोना काल में अपनी आर्थिक व्यवस्था को भी इन लोगों ने हवाला दिया है, यही कारण है कि आज बहुत से बुजुर्ग सब कुछ होते हुए भी सड़कों पर घूम रहे हैं.

अपनों ने महामारी के बीच छोड़ा साथ

इस कोरोना काल ने कई बुजुर्ग माता-पिता को कर दिया बेघर

"कोरोना वायरस वो बीमारी है जो कि बुजुर्गों और बच्चों को ज्यादा प्रभावित करती है. यही वजह है कि अचानक से ही इस बीमारी के बचाव में बहुत से लोगों ने अपने बूढ़े मां-बाप को सड़कों पर लावारिश हाल में छोड़ दिया है. इस कोरोना काल में अब यह बेबस बुजुर्ग घर से बाहर रहकर फुटपाथ पर पड़े हुए हैं, इतना ही नहीं कई बुजुर्ग तो ऐसे भी देखे गए जो कि दूसरे शहरों से आकर भीख मांग कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं.

हाल ही में प्रवासी लोगों की जबलपुर शहर में बड़ी है संख्या

कोरोना संक्रमण के बाद अचानक से ही संस्कारधानी जबलपुर में प्रवासी लोगों के आने की संख्या में इजाफा भी हुआ है, इसकी एक वजह यह है कि नर्मदा किनारे बसे आस्था के शहर में गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करने वाले की संख्या अटूट है, कई समाजसेवी संस्था बुजुर्गों को ना सिर्फ रहने के लिए जगह मुहैया करवा रहे हैं, बल्कि उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी करवाते हैं.

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कोरोना में बेसहारा लोगों के लिए सहारा बनी मोक्ष संस्था

जबलपुर में करीब 19 साल से गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करने वाली मोक्ष संस्था अपने दम पर इन हालातो में न सिर्फ सैकड़ों लोगों की मदद कर रही है, बल्कि किसी बेसहारा की मौत होने पर उनका अंतिम संस्कार करने का काम भी ये संस्था करती है. इस संस्था को जिला प्रशासन से बिल्कुल भी मदद नहीं मिली है. यह संस्था समय आने पर पुलिस प्रशासन के द्वारा बताए गए लावारिश शवों का भी अंतिम संस्कार करती है.

प्रशासन का वृद्धा आश्रम भी है एक सहारा

इस कोरोना काल में जबलपुर का वृद्ध आश्रम भी किसी खुदा के दरबार से कम नहीं हैं. जिला प्रशासन को जो भी बुजुर्ग बेसहारा मिलता है, उसे वह यहां लाकर वो तमाम सुख-सुविधा देते हैं जो कि कभी उन्हें अपने घर पर मिला करती थी.

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वृद्ध आश्रम के कार्यकर्ता बुजुर्गों के परिजनों को मनाने की करते हैं कोशिश

इस लॉकडाउन में अपनों की खातिर हुए बेसहारा बुजुर्गों के परिजन को वृद्ध आश्रम के सदस्य, सामाजिक संस्था बुजुर्गों के परिजन को उन्हें वापस अपना लेने के लिए मनाने की भरपूर कोशिश भी करती हैं, लेकिन जब कुछ निष्कर्ष नहीं निकलता है तो फिर यह सामाजिक संस्था इन बुजुर्गों को अपने साथ ही रख लेती हैं.

बुजुर्गों को घर से बाहर करने पर हो सकती है सजा

बुजुर्ग माता-पिता को अगर कोई घर से बाहर निकालता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी है. सामाजिक न्याय विभाग के मुताबिक अगर कोई बुजुर्ग माता-पिता को घर से बाहर करता है तो उसके खिलाफ ना सिर्फ कड़ी कार्रवाई होती है. बल्कि ऐसे समय में अगर माता-पिता अपने बच्चों के खिलाफ शिकायत करते हैं तो उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है.

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