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जबलपुर-खस्ताहाल : कैसे लगेगी सड़क हादसों पर लगाम, एक अदद फुटओवर ब्रिज के लिए तरस रहा संस्कारधानी

जबलपुर शहर में करीब 6 से ज्यादा ऐसे चौक-चौराहे हैं जहां 12-12 घंटे तक ट्रैफिक का दबाव बना रहता है. इसी ट्रैफिक के बीच पैदल चलने वालों की संख्या भी बहुत होती है. ऐसे में पैदल चलने वालों के लिए फुट ओवर ब्रिज की मांग काफी पहले से हो रही है पर ताज्जुब की बात तो यह है कि प्रशासन ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. देखिये ये खास रिपोर्ट...

Not a single foot over bridge in Jabalpur
जबलपुर में नहीं एक भी फुट ओवर ब्रिज

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Published : Oct 20, 2020, 10:51 AM IST

जबलपुर। कहने को तो मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर महानगर में शुमार है, पर सड़क व्यवस्था के नाम पर यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं कि जबलपुर को महानगर में शामिल किया जाए. यातायात व्यवस्था यहां पर बदहाल है. ना ही कोई ट्रैफिक नियमों का पालन करता है और न जेबरा क्रॉसिंग का ध्यान सड़क पर चलने वालों को होता है. खास बात तो यह है कि करीब साढ़े 17 लाख की आबादी वाले जबलपुर शहर में एक भी फुट ओवरब्रिज नहीं है. यही कारण है कि जबलपुर शहर में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ हाल ही के कुछ सालों में बढ़ा है.

जबलपुर में नहीं एक भी फुट ओवर ब्रिज

बेखौफ सड़र पार करते हैं लोग

जबलपुर शहर में करीब छह से ज्यादा ऐसे चौराहे हैं. जहां पर करीब 12 घंटे तक ट्रैफिक का दबाव बना रहता है. इसी ट्रैफिक के बीच पैदल चलने वालों की संख्या भी बहुत होती है. शहर में एक अदद फुटओवर ब्रिज की मांग काफी पहले से हो रही है पर ताज्जुब की बात तो यह है कि प्रशासन ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. जबलपुर शहर में अभी एक भी फुट ओवर ब्रिज नहीं है. यही कारण है कि सड़क पार करने वालों का दबाव ट्रैफिक पर बहुत रहता है. बावजूद इसके नगर निगम ने इन चौराहों पर कभी भी फुट ओवरब्रिज बनवाने के विषय में नहीं सोचा. जबलपुर शहर में रानीताल, तीन पत्ती चौराहा, हाईकोर्ट चौराहा और नौद्रा ब्रिज चौराहे पर हमेशा ही ट्रैफिक का दबाव रहता है. इन्हीं चौराहों पर पैदल चलने वालों की संख्या बहुत अधिक है. यही वजह है कि लोगों के बेपरवाह रवैये और प्रशासनिक लापरवाही के चलते कई बार दुर्घटनाएं होती है.

ट्रैफिक में सड़क पार करने को मजबूर लोग

ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल

एक समय था जब जबलपुर शहर को उप-राजधानी बनाने की कवायद यहां के गणमान्य नागरिकों ने जोर-शोर से शुरू की थी. पर आज जिस तरह की जबलपुर शहर में ट्रैफिक कंट्रोल की व्यवस्था है, उसको लेकर कहा जा सकता है कि अभी भी जबलपुर शहर में बहुत सी ऐसी खामियां हैं जिसेे दूर करना जरूरी है. मसलन पैदल चलने वालों के लिए जबलपुर शहर में एक भी फुटओवर ब्रिज का ना होना. लिहाजा पैदल चलने वाले और वाहन चलाने वालों पर कंट्रोल होने के बाद ही कहा जा सकता है कि जबलपुर शहर कम से कम ट्रैफिक के मामले में तो विकसित हुआ है, उसके बाद ही इसे महानगर बनवाने के बारे में सोचा जाए. स्थानीय निवासियों का कहना है कि संस्कारधानी जबलपुर को अभी भी महानगर बनने में काफी वक्त लगेगा. हांलाकि पैदल सड़क क्रॉस करने वालों के लिए व्यवस्था होना जरूरी है.

ट्रैफिक पुलिस अधिकारियों का दावा

शहर में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. ट्रैफिक पुलिस भी चिंतित दिख रही है. पुलिस अधिकारियों का दावा है कि ट्रैफिक को दुरुस्त करने का लगातार प्रयास हो रहा है. इसके अलावा जो लोग चौराहे पर सड़क क्रॉस करते हैं उन्हें भी ट्रैफिक नियमों को लेकर जागरूक किया जा रहा है .ट्रैफिक डीएसपी भरत सलोके का कहना है कि जब भी लोग सड़क पार करते हैं, तो उन्हें दाएं और बाएं तरफ देखकर ही सड़क पार करना चाहिए. इसके साथ ही पैदल चलने वालों को जेब्रा क्रासिंग और ट्रैफिक सिग्नल का पालन करना चाहिए. फुट ओवर ब्रिज को लेकर जब हमने जबलपुर कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से बात की तो उनका कहना है कि जल्द ही नगर निगम के अधिकारियों के साथ एक बैठक करके यह सुनिश्चित करवाया जाएगा कि आखिर किन-किन चौराहों पर फुट ओवरब्रिज की जरूरत है.

महानगर में एक भी फुट ओवर ब्रिज नहीं

सात साल पहले बना था एक फुटओवर ब्रिज

शहर में तेजी से बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए पूर्व महापौर प्रभात साहू ने जबलपुर के सबसे बड़े चौराहे शास्त्री ब्रिज पर एक फुटओवर ब्रिज का निर्माण करवाया था. पर यह फुटओवर ब्रिज पैदल चलने वालों से ज्यादा असामाजिक तत्वों के जमावड़े का केंद्र बन गया था. कुछ सालों बाद पूर्व महापौर स्वाति गोडबोले के कार्यकाल के दौरान इस फुटब्रिज को हटवा दिया गया.

सिग्नल तोड़ना हो गई है आम बात

जबलपुर पुलिस रोजाना 500 से लेकर 700 वाहनों पर ट्रैफिक नियमों के पालन न करने को लेकर कार्रवाई करती है पर हालात जस के तस बने हुए है.

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