जबलपुर। कहने को तो मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर महानगर में शुमार है, पर सड़क व्यवस्था के नाम पर यहां पर ऐसा कुछ भी नहीं कि जबलपुर को महानगर में शामिल किया जाए. यातायात व्यवस्था यहां पर बदहाल है. ना ही कोई ट्रैफिक नियमों का पालन करता है और न जेबरा क्रॉसिंग का ध्यान सड़क पर चलने वालों को होता है. खास बात तो यह है कि करीब साढ़े 17 लाख की आबादी वाले जबलपुर शहर में एक भी फुट ओवरब्रिज नहीं है. यही कारण है कि जबलपुर शहर में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ हाल ही के कुछ सालों में बढ़ा है.
बेखौफ सड़र पार करते हैं लोग
जबलपुर शहर में करीब छह से ज्यादा ऐसे चौराहे हैं. जहां पर करीब 12 घंटे तक ट्रैफिक का दबाव बना रहता है. इसी ट्रैफिक के बीच पैदल चलने वालों की संख्या भी बहुत होती है. शहर में एक अदद फुटओवर ब्रिज की मांग काफी पहले से हो रही है पर ताज्जुब की बात तो यह है कि प्रशासन ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया. जबलपुर शहर में अभी एक भी फुट ओवर ब्रिज नहीं है. यही कारण है कि सड़क पार करने वालों का दबाव ट्रैफिक पर बहुत रहता है. बावजूद इसके नगर निगम ने इन चौराहों पर कभी भी फुट ओवरब्रिज बनवाने के विषय में नहीं सोचा. जबलपुर शहर में रानीताल, तीन पत्ती चौराहा, हाईकोर्ट चौराहा और नौद्रा ब्रिज चौराहे पर हमेशा ही ट्रैफिक का दबाव रहता है. इन्हीं चौराहों पर पैदल चलने वालों की संख्या बहुत अधिक है. यही वजह है कि लोगों के बेपरवाह रवैये और प्रशासनिक लापरवाही के चलते कई बार दुर्घटनाएं होती है.
ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल
एक समय था जब जबलपुर शहर को उप-राजधानी बनाने की कवायद यहां के गणमान्य नागरिकों ने जोर-शोर से शुरू की थी. पर आज जिस तरह की जबलपुर शहर में ट्रैफिक कंट्रोल की व्यवस्था है, उसको लेकर कहा जा सकता है कि अभी भी जबलपुर शहर में बहुत सी ऐसी खामियां हैं जिसेे दूर करना जरूरी है. मसलन पैदल चलने वालों के लिए जबलपुर शहर में एक भी फुटओवर ब्रिज का ना होना. लिहाजा पैदल चलने वाले और वाहन चलाने वालों पर कंट्रोल होने के बाद ही कहा जा सकता है कि जबलपुर शहर कम से कम ट्रैफिक के मामले में तो विकसित हुआ है, उसके बाद ही इसे महानगर बनवाने के बारे में सोचा जाए. स्थानीय निवासियों का कहना है कि संस्कारधानी जबलपुर को अभी भी महानगर बनने में काफी वक्त लगेगा. हांलाकि पैदल सड़क क्रॉस करने वालों के लिए व्यवस्था होना जरूरी है.