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निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज करने पर मरीज को उठाना पड़ेगा खर्च, नहीं मिलेगी कोई मदद - मरीज को उठाना पड़ेगा खर्च

जबलपुर जिला प्रशासन ने निजी अस्पताल प्रबंधकों के साथ बैठक कर एक अहम निर्णय लिया है. जिसमें अब किसी भी कोरोना मरीज को अगर सरकारी अस्पताल में अपना इलाज नहीं कराना चाहते हैं तो वो निजी अस्पताल में अपना इलाज करवा सकते हैं. जिसका खर्च उन्हें खुद ही उठाना पड़ेगा.

Jabalpur Collector Bharat Yadav
जबलपुर कलेक्टर भरत यादव

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Published : Jul 15, 2020, 8:11 AM IST

Updated : Jul 15, 2020, 10:01 AM IST

जबलपुर। कोरोना काल में निजी अस्पतालों की चांदी हो गई है. यही वजह है कि अब राज्य सरकार और जिला प्रशासन भी निजी अस्पतालों के समर्थन में आ गया है. जो व्यक्ति सरकारी अस्पताल में कोरोना का इलाज नहीं करवा सकता, ऐसे में अगर वो निजी अस्पताल में इलाज करवाना चाहता है तो उसे लाखों रुपए का बिल देने के लिए तैयार रहना होगा. कोई कोरोना संदिग्ध व्यक्ति निजी अस्पताल में भर्ती होता है तो उसे अस्पतल के टैरिफ के मुतिबिक खर्च देना होगा. कोरोना काल में मनमानी के लिए बाकायदा जिला प्रशासन ने छूट भी दी है.

निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज पर खुद उठाना पड़ेगा खर्च

निजी अस्पताल में देना ही होगा पैसा

सरकारी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों के लिए वार्ड की व्यवस्था नहीं की जा रही है. सुविधाओं को लेकर सरकारी अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. जिसे देखते हुए निजी अस्पताल का भी अधिग्रहण किया जा रहा है, लेकिन ऐसे में अब निजी अस्पताल संचालक कोरोना संक्रमित व्यक्तियों के लिए अलग-अलग नियम और शर्तें लागू कर रहे हैं. वह व्यक्ति जो निजी अस्पतालों के खर्च का वहन कर सकता है तो उसके लिए अस्पताल में क्वारेंटाइन सेंटर में भर्ती करने की व्यवस्था भी की जा रही है. दूसरी ओर अगर जो व्यक्ति निजी अस्पतालों के खर्च को वहन नहीं कर सकता है तो उसे सरकारी अस्पतालों में ही रहकर अपना इलाज करवाना होगा.

अस्पताल प्रबंधकों के साथ जिला प्रशासन की बैठक

कलेक्टर भरत यादव ने शहर के तमाम निजी अस्पताल प्रबंधकों के साथ एक बैठक की. जिसमें फैसला लिया गया कि अब निजी अस्पताल में अगर मरीजों को इलाज करवाना है तो वो बेझिझक उन्हें अपने अस्पताल में एडमिट करवा सकते हैं. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति कोरोना पीड़ित निकलता है तो उसका भी अस्पताल प्रबंधन अपने हिसाब से बिल बनाकर इलाज कर सकता है. साथ ही ये भी कहा कि कोरोना काल में भी राज्य सरकार और जिला प्रशासन अब गरीबों की मदद के लिए तैयार नहीं है.

जिला प्रशासन का अस्पताल प्रबंधकों के साथ बैठक

गरीबों को नहीं मिलेगी मदद

प्रशासन ने बैठक में निर्णय लिया है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है और वह सरकारी अस्पताल में रहकर इलाज नहीं करवाना चाहता है तो वह निजी अस्पताल जा सकता है. उसके लिए अस्पताल का खर्च उसे ही उठाना पड़ेगा. जिसके लिए सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं दी जाएगी. इस तरह जबलपुर में निजी अस्पतालों को प्रशासन ने कोरोना महामारी के नाम पर लूट करने की छूट दे दी है. कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या पर काबू पाने निजी अस्पताल का अधिग्रहण करने कलेक्टर ने निजी अस्पताल संचालकों की बैठक बुलाई थी, लेकिन मामला इसके विपरीत हो गया और नर्सिंग होम एसोसिएशन के दबाव में ये तय किया गया कि कोरोना मरीज निजी अस्पताल में पैसा खर्च कर अपना इलाज करवा सकते हैं, दूसरी ओर गरीब मरीजों को शासन की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा.

निजी अस्पतालों की मांगे हुई पूरी

नर्सिंग होम एसोसिएशन ने कहा है कि अस्पताल में वाईफाई, टीवी और अन्य तरह की सुविधाएं दी जाएंगी. इसके विपरीत निजी अस्पतालों की तमाम मांगों को मान लिया गया है, ऐसे में कहा जा सकता है कि अगर मध्यम या गरीब तबके के व्यक्तियों को कोरोना होता है तो उसे सरकारी अस्पताल में ही इलाज मिलेगा न की निजी अस्पताल में.

Last Updated : Jul 15, 2020, 10:01 AM IST

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