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RSS Chief भागवत के सामाजिक समरसता के सिद्धांत से उनके पूर्वज दुखी होंगे: निश्चलानंद सरस्वती - पुरी मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती

पुरी मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने जबलपुर में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से सवाल किया कि क्या रामराज्य को झेल सकते हैं. हिंदू राष्ट्र तक तो बात सही है, लेकिन रामराज्य लाना कठिन है. शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagvat) के सामाजिक समरसता के दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं.

Nischalanand Saraswati
भागवत के सामाजिक समरसता के सिद्धांत से उनके पूर्वज दुखी होंगे

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Published : Apr 21, 2023, 6:31 PM IST

जबलपुर। पुरी मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती शुक्रवार को जबलपुर में आमसभा को संबोधित करने आए. इस मौके पर उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया आर्यों की संतान है. निश्चलानंद सरस्वती के अनुसार सदियों पहले पूरी दुनिया में केवल आर्य रहते थे. ईसाई हो या मुसलमान, सभी आर्यों की संतान हैं. सभी के पूर्वज एक ही थे. इसलिए अलग-अलग धर्मों का कोई आधार नहीं है.

वर्ण और जाति व्यवस्था सही है :वहीं, निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि वर्ण व्यवस्था लोगों को स्थाई रोजगार देने का एक अच्छा जरिया थी, लेकिन इसे अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के चलते बर्बाद कर दिया. वर्ण व्यवस्था और जाति व्यवस्था में लोगों के पास जातिगत उद्योग व्यापार थे, जो उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध करते थे. इसी को कमजोर करने के लिए अंग्रेजों ने अपनी नीति के तहत लोगों को भ्रमित किया. इसी वजह से देश में बेरोजगारी फैली. पुरी मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि वह किसी पार्टी के सिद्धांतों पर काम नहीं करते, बल्कि वे जो कहते हैं उसके आधार पर पार्टियां काम करती हैं.

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बीजेपी नेताओं से किया सवाल :शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि हिंदू राष्ट्र बनाने पर ही विरोध के स्वर खड़े हो रहे हैं तो रामराज्य की तो कल्पना भी परे है. सिद्धांतः रामराज्य लागू नहीं किया जा सकता. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से पूछा है कि क्या वे रामराज्य को झेल सकते हैं. राम राज्य में जिस तरह के नियम कानून थे, उन पर अमल करना बहुत कठिन है. निश्चलानंद सरस्वती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की इस बात से सहमत नहीं है कि जाति व्यवस्था लोगों की बनाई हुई है. उन्होंने मोहन भागवत के लिए कहा कि उनके इस विचार की वजह से उनके पूर्वज शर्मिंदा होंगे.

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