जबलपुर।शहीद स्मारक गोलबाजार, जबलपुर के प्रांगण में नर्मदा की लहरों जैसे कैनवास पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस का समग्र जीवनवृत्त चित्रांकित हो रहा है. सुभाष चंद्र बोस के जीवन से जुड़ी 400 मीटर लंबी पेंटिंग 200 कलाकार मिलकर बना रहे हैं. पेंटिंग के जरिए नेताजी के पूरे जीवन की घटनाओं को कैनवास पर उकेरा जा रहा है. कलाकार अपनी कला के हुनुर से नेता जी के जीवन में घटी हर बड़ी घटनाओं को पेंटिंग के जरिए दर्शा रहे हैं.
कैनवास पर उकेरा सुभाष चंद्र बोस का जीवनवृत्त
400 मीटर लंबी पेंटिंग
यह आयोजन संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय करवा रहा है. इस आयोजन में शहर की गोल बाजार में लगभग 400 मीटर लंबी 5 फीट चौड़ी एक पेंटिंग बनाई जा रही है. जिसमें लगभग 250 कलाकार अपनी कला का हुनर दिखा रहे हैं. यह सभी कलाकार जबलपुर ग्वालियर और देश के दूसरे इलाकों से यहां पहुंचे हैं और इन सभी को सुभाष चंद्र बोस की जिंदगी पर पेंटिंग बनानी हैं. अलग-अलग थीम पर बनने वाली इन चित्रों में सुभाष चंद्र बोस के पूरे जीवन की घटनाओं को पेश किया गया है.
पेंटिंग के जरिए सुभाष चंद्र बोस का दिखाया जीवन कैनवास पर उकेरा नेता जी का जीवन
कलाकारों का कहना है कि यह उनके जीवन के लिए भी एक बड़ा मौका है. जब देश के एक महानायक के लिए इस तरह से अपनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं. कलाकार लगातार तीन दिनों तक इस पेंटिंग को बनाएंगे. इसके बाद यह पेंटिंग आम लोगों के लिए खोल दी जाएगी. नेताजी के जीवन को चित्रांकन के जरिये साकार करने वाले कलाकारों में हर उम्र के कलाकार देखने को मिल रहे हैं. सभी अपनी थीम के हिसाब से अपने भीतर की रचनात्मकता, सौंदर्यबोध, ऊर्जा व कलात्मकता का भरपूरे प्रदर्शन करने में जुटे हैं. जब सभी कैनवास अपने ऊपर उकेरे चित्रों की समग्रता से सजाएंगे. तब एक नजर में नेताजी का संपूर्ण जीवन आंखों के सामने झलक उठेगा. साथ ही 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन की यादें भी ताजा हो जाएंगी.
खून लेकर आजादी देने का वादा करने वाले महानायक सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन
जबलपुर से नेता जी का रहा गहरा नाता
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जबलपुर से गहरा नाता रहा है और उनसे जुड़ी कई यादें अब भी यहां संजोकर रखी गई हैं. 1931 से 1933 के बीच दो बार यहां के सेंट्रल जेल में रहने से लेकर 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन तक, जिसमें वे कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, उसके बाद फिर अध्यक्ष पद से इस्तीफा, फॉरवर्ड ब्लॉक का जन्म,संस्कार धानी कही जाने वाली जबलपुर का उनके राजनीतिक जीवन में अहम स्थान रहा है.