जबलपुर। नर्मदा नदी (Narmada river में सबसे ज्यादा गंदगी त्योहार (Festival) के दौरान होती है. दरअसल, नदी की पवित्रता (purity) ही उसकी सबसे बड़ी दुश्मन बन जाती है. हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि पवित्र नदियों के किनारे तीज त्योहार मनाने चाहिए. साथ ही यज्ञ हवन करके पूजा की सामग्री को नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए. लोगों की यही मान्यता नदियों के लिए घातक साबित हो रही है. प्रशासन के मना करने के बाद भी लोग बड़ी तादाद में पूजा सामग्री का बचा हुआ सामान खास तौर पर फूल और हवन की राख नदी में प्रवाहित कर देते हैं.
बायो डिजाइन एंड इनोवेशन सेंटर ने किया ये कार्य
शहर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (Rani Durgavati Vishwavidyalaya) में केंद्र सरकार (central govt) के शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) का एक अनोखा आयाम है, जिसे बायो डिजाइन एंड इनोवेशन सेंटर (Bio Design Innovation Center) के नाम से जाना जाता है. यह सेंटर नए विचारों के लिए प्रयोग करके उत्पाद तक ले जाने का काम करता है. इसी सेंटर के छात्रों को संस्थान के एचओडी डॉ एसएस संधू ने यह टास्क दिया था कि पूजा के बाद बचा हुआ सामान नर्मदा नदी को प्रदूषित ना कर सके. इसके लिए कोई ऐसा उत्पाद बनाएं जिससे नदी की गंदगी बच सके और बचे हुए सामान से बना हुआ उत्पाद रोजगार का साधन भी बन सके.
फूलों से बनाया गया नेचुरल गुलाल
छात्र छात्राओं ने देखा की त्योहार के बाद लोग बड़ी तादाद में नदी किनारे फूल छोड़ कर चले जाते हैं. छात्र-छात्राओं ने इन फूलों से नेचुरल गुलाल बनाया है. इसमें गेंदा फूल और पीला फूल से गुलाबी और इसी तरह से प्राकृतिक रंगों से मिलकर अलग-अलग प्रकार के गुलाल बनाए हैं. जो पूरी तरह से प्राकृतिक हैं और इनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.