जबलपुर: गर्मियों के मौसम में आमतौर पर जल संकट के हालात तो गांव में नजर आते ही हैं, लेकिन किसी सांसद जैसे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के गोद लिए गांव में पानी के हालात भायावह हो तो इसे आप क्या कहेंगे! दरअसल, जबलपुर जिले के बरगी विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कोहला गांव के हालात कुछ इसी तरह के ही हैं. इस गांव को जबलपुर के सांसद और लोकसभा के मुख्य सचेतक राकेश सिंह ने गोद लिया था. बावजूद इसके इस गांव के तस्वीर नहीं बदल पाई है. गर्मियों के मौसम में यहां के हालात बदतर हो गए हैं. ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए कई किलोमीटर का लंबा सफर तय करने के लिए मजबूर हैं. लेकिन कोहला गांव में मची पानी के हाहाकार को लेकर अब सिर्फ सियासत है निजात के उपाए नहीं.
आदर्श गांव बनाने का सपना धूधला पड़ा: यह उस गांव की तस्वीर है जिसे कभी आदर्श गांव बनाने का सपना दिखाया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर जबलपुर के सांसद राकेश सिंह ने बरगी क्षेत्र के कोहला गांव को गोद लिया और यहां मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने का वादा किया, लेकिन वर्षों बीत गए. यह गांव आज भी गोद से नहीं उतर पाया. नतीजा ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए भी रोजाना जद्दोजहद करनी पड़ती है. हालात यह बन गए हैं कि 2,000 की आबादी और करीब 500 घरों के बीच इस गांव में महज 2 हैंडपंप लगे हैं जो गर्मी के दिनों में दम तोड़ देते हैं. जिसके बाद ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर तालाब से पानी लाना पड़ता है.
गांव के हालात राजनीति शुरू: कोहला गांव के हालात तो नहीं बदले लेकिन राजनीति जरूर होती है. बरगी विधानसभा क्षेत्र से आने वाले कांग्रेस के विधायक संजय यादव ने जहां सांसद पर गांव की अनदेखी का आरोप लगाया है. वहीं कांग्रेस विधायक संजय यादव का कहना है कि "गोद लेने के बावजूद भी गांव की तस्वीर नहीं बदली, जब सांसद से कहा तो उन्होने कहा कि उस गांव से कभी BJP को वोट नहीं मिला, लेकिन फिर भी हमने उस गांव को आदर्श बनाने का संकल्प किया था. थोड़ी जिम्मेदारी तो विधायक की भी बनती है, वो भी जन प्रतिनिधि हैं और जनता ने उन्हे भी गांव के विकास के लिए चुना है"