जबलपुर।हाईकोर्ट में लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई. जबकि वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है, जो निर्धारित मापदंड पूरा करता हो. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ 4-5 कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेजों में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है.
मनमाने तरीके से दी मान्यता :याचिका में ये भी कहा है कि बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है. याचिका की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि 80 कॉलेज ऐसे हैं, जिसमें एक व्यक्ति को उसी समय कई स्थानों पर काम पर रखा है. 10 कॉलेजों में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य हैं और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है. टीचिंग स्टाफ भी एक समय में 5-5 कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा है. माइग्रेट फैक्लटी के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किये जाने को मामला हाईकोर्ट के समक्ष उठाया गया था.
डीएमई ने हलफनामा पेश किया :पूर्व में हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्ट्रार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने डीएमई को शाम 4 बजे तक व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के आदेश दिये थे. वीडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का आग्रह हाईकोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था. भोपाल से जबलपुर तक का सफर सड़क मार्ग से तय करने के बावजूद डीएमई समय पर हाईकोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाये थे. याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित डीएमई ने हलफनामा पेश कर युगलपीठ को बताया गया कि पूर्व रजिस्ट्रार सुनीता शिजू को गत शाम भोपाल से इंदौर के लिए रिलीव कर दिया गया है.