जबलपुर।जिले में राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि ने जबलपुर जिला प्रशासन पर भेदभाव और उपेक्षा का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि उन्हें ऐसा लगता है कि वे एक दलित जाति से आती हैं, इसलिए उन्हें उपेक्षित किया जा रहा है. सुमित्रा वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर अपने साथ हुए बर्ताव से दुखी है. दरअसल 21 जून को जबलपुर में हुए राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान सुमित्रा वाल्मीकि को स्टेज पर बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं लगाई गई थी. खुद मुख्यमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा. (Sumitra Valmiki Allegations)
प्रशासन से खफा सुमित्रा वाल्मीकि:जबलपुर राज्यसभा सांसद सुमित्रा वाल्मीकि जिला प्रशासन खासतौर पर जबलपुर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन के व्यवहार से बेहद खफा हैं. उनका कहना है कि उनके साथ जानबूझकर उपेक्षा और भेदभाव भरा व्यवहार किया जा रहा है. जिससे वे लंबे समय से नोटिस कर रही थीं. सुमित्रा वाल्मीकि का कहना है कि बीते दिनों एयरपोर्ट पर छोटे अधिकारियों की गाड़ियां भी रनवे पर जा रही थी, लेकिन उनके वाहन को प्रशासन ने रोक दिया. वहीं उपराष्ट्रपति और मुख्यमंत्री के कारकेड में राज्यसभा सांसद की गाड़ी को इतने पीछे लगा दिया जाता है कि उनकी मुलाकात ही मुख्यमंत्री से नहीं हो पाती.
योग दिवस के कार्यक्रम में मंच पर नहीं रखी कुर्सी:वहीं सुमित्रा वाल्मीकि का कहना है कि बीते दिनों उन्होंने जबलपुर के विकास को लेकर एक मीटिंग बुलाई थी, लेकिन इसमें भी जबलपुर कलेक्टर नहीं पहुंचे और मीटिंग को रद्द करना पड़ा. इसके साथ ही कलेक्टर कभी उनका फोन नहीं उठाते और उन्हें अपनी बात छोटे अधिकारियों से करनी पड़ती है. सुमित्रा वाल्मीकि सबसे ज्यादा खफा 21 जून के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के कार्यक्रम के आयोजन पर है. उनका कहना है कि उन्हें ऐसी उम्मीद थी कि मंच पर उन्हें बैठने का स्थान दिया जाएगा, लेकिन जब वह मंच पर पहुंची तो उनके नाम की कोई कुर्सी ही वहां नहीं थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब उन्हें खड़े देखा तो तुरंत उनके लिए कुर्सी का इंतजाम करने के लिए प्रशासन से कहा. इसके साथ ही योग करने के दौरान भी उन्हें ठीक जगह स्थान नहीं दिया गया. (Discrimination with Sumitra Valmiki)