जबलपुर। रिश्तेदार की गवाही के आधार पर हुई सजा के खिलाफ आरोपी की हाईकोर्ट में दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है. हाईकोर्ट ने अपील खारिज करते हुए कहा कि गवाह में रिश्तेदार होने के कारण उनका प्रभाव कम नहीं होता.वहीं एक दूसरे मामले में हाईकोर्ट ने बर्खास्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को बहाल करने का आदेश दिया है.
क्या है मामला:अपीलकर्ता सुकलू की तरफ से हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि सोमती बाई उम्र 40 साल पर कुल्हाड़ी से प्राण घातक हमला करने के आरोप में न्यायालय ने उसे 5 साल के कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने सजा सुनाने में स्वतंत्र गवाह के बयान को नजर अंदाज किया है. घटना का चश्मदीद गवाह नहीं होने के बावजूद रिश्तेदारों की गवाही के आधार पर उसे सजा से दंडित किया गया.यानि इस दायर याचिका में कहा गया कि रिश्तेदार की गवाही पर उसे सजा देना गलत है.
पीड़ित का तर्क: अपीलकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि रिश्तेदारों ने अभियोजन पक्ष की कहानी के अनुसार अपने बयान दिये हैं. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाहों ने घटना नहीं देखी है परंतु पीड़िता के शरीर पर कुल्हाड़ी से आई चोटों के निशान हैं वहीं पीड़िता ने अपने बयान में बताया कि आरोपी ने उस पर कुल्हाड़ी से हमला किया.
हाईकोर्ट ने सुनाया निर्णय:हाईकोर्ट जस्टिस ने इस अपील को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि न्यायालय ने कानूनी बिंदू तथा तथ्यों के आधार पर सजा से दंडित किया है. वहीं गवाहों के रिश्तेदार होने के कारण उनका प्रभाव कम नहीं होता है.