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Published : Apr 7, 2023, 5:34 PM IST

Updated : Apr 7, 2023, 5:40 PM IST

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हाई कोर्ट का सरकारी मुलाजिमों को फटकार, देरी से अपील पर कहा- 8 साल तक कहां सोते रहे अधिकारी

एमपी हाईकोर्ट ने एक मामले में अधिकारियों द्वारा 8 साल बाद अपील करने को लेकर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने अधिकारियों पर लापरवाही बरतने की बात कहते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है

MP High Court
एमपी हिंदी न्यूज

जबलपुर।एमपी हाई कोर्ट नेराज्य सरकार द्वारा श्रम न्यायालय द्वारा पारित अवार्ड के खिलाफ 8 साल बाद अपील दायर किए जाने को गंभीरता से लिया है. जस्टिस जी एस आलुवालिया की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य सरकार को पदाधिकारियों के माध्यम से कार्य करना होता है. कभी प्रक्रियात्मक कार्य के कारण विलंब हो जाता है. 8 साल के बाद अपील दायर करने से पदाधिकारियों की लापरवाही उजागर होती है, वह फाइन रखकर सो गये थे.

2011 में हुआ था फैसला: श्रम न्यायालय द्वारा पारित अवार्ड के खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से 2022 में अपील दायर की गई थी. अपील की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया कि श्रम न्यायालय द्वारा कर्मचारी के पक्ष में जनवरी 2011 में पारित किया गया था. आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए संबंधित पदाधिकारियों को 3 बार पत्र लिखा गया. इसके बावजूद भी उनकी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई. पदाधिकारियों द्वारा 2019 में अपील दायर की स्वीकृति प्रदान की गई. कानूनी प्रक्रिया के तहत 9 लाख 17 हजार रुपए की राशि जमा की गई.

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8 साल तक सोते रहे अधिकारी: एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रक्रियात्मक कार्य विलंब का कारण हो सकता है. 8 साल बाद अपील की स्वीकृति प्रदान करना पदाधिकारियों की लापरवाही है. पदाधिकारी प्रकरण में सो रहे थे और वह दोषी हैं. एकलपीठ ने अपील को खारिज करते हुए कहा है कि अधिकारियों का दोष होने के कारण राजकोश में दवाब नहीं डाल सकते हैं. मुख्य सचिव को जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तथा अवार्ड राशि वसूल करने के निर्देश हाईकोर्ट ने जारी किये है. मुख्य सचिव को अपनी रिपोर्ट 60 दिनो की निर्धारित अवधि में हाईकोर्ट रजिस्टार के समक्ष प्रस्तुत करना है.

Last Updated : Apr 7, 2023, 5:40 PM IST

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