जबलपुर।प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए का मामले में दायर याचिकाओं हाईकोर्ट लगातार सुनवाई कर रहा है. गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किये जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गयी हैं. याचिका की अंतिम सुनवाई के दौरान विपक्ष में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा चुका है. समर्थन में दायर याचिका पर पक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है. ओबीसी आरक्षण के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में दायर चार याचिकाओं में एक याचिका वापस ली गयी है.
आज की सुनवाई में ये तथ्य दिए :सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इंदिरा साहनी मामले में पारित आदेश का हवाला देते हुए आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होने हवाला देते हुए ओबीसी आरक्षण 27 किये जाने के खिलाफ याचिकाए दायर की गयी हैं. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ईओडब्ल्यू आरक्षण को उचित जाने संबंधित आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गयी है.
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ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत पर स्थगन आदेश है :उच्च न्यायालय ने कई भर्तियों में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत लागू करने पर स्थगन आदेश पारित किया है. इस कारण पीएससी, शिक्षकों सहित अन्य भर्तियां रुकी हुई हैं. युगलपीठ ने स्थगन आदेश वापस लेने का आग्रह किया गया था. याचिकाकर्ताओं की तरफ से आदित्य संघी तथा शासन की तरफ से विशेष अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह उपस्थित हुए.
कृषि मंडी चुनाव न कराने को हाईकोर्ट में चुनौती :प्रदेश में कृषि उपज मंडी का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद भी नये चुनाव न कराये जाने को हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. यह जनहित का मामला नागरिक उपभोक्ता मार्ग दर्शक मंच के मनीष शर्मा, नरसिंहपुर निवासी पवन कौरव, जबलपुर निवासी राजेश कुमार वर्मा सहित 6 लोगों की ओर से दायर किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा.