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MP High Court: कुकृत्य मामले में पूर्व वित्त मंत्री राधव जी को राहत, कोर्ट ने दिए FIR रद्द करने के आदेश

प्रदेश पूर्व वित्त मंत्री राधवजी के खिलाफ दायर कुकृत्य मामले में हाईकोर्ट ने राहत देते हुए एफआईआर को खारिज करने का आदेश दिया है. जानें क्या है पूरा मामला.

former Minister Radhavji
पूर्व मंत्री राधवजी

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Published : Jun 16, 2023, 9:01 PM IST

जबलपुर। प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राधवजी को कुकृत्य मामले में हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि प्रदेश की राजनीति में महत्तपूर्ण पोर्टफोलियों रखने वाले व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंदियों के इशारे पर एफआईआर दर्ज करवाई है. अपराधिक कार्रवाई में स्पस्ष्ट रूप से दुर्भावनावाद उपस्थित है. एकलपीठ ने एफआईआर को खारिज करने के आदेश दिए हैं. पूर्व वित्त मंत्री राधव जी की तरफ से दायर की गयी याचिका में भोपाल के हबीबगंज थाने के उनके खिलाफ धारा 377,506 तथा 34 के तहत 7 जुलाई 2013 को दर्ज की गई एफआईआर खारिज किये जाने की राहत चाही गयी थी.

साजिश के तहत बनाया गया वीडियो: याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया था कि अनावेदक ने अपनी शिकायत में कहा है कि उसके गृह जिले विदिशा का रहने वाला है. साल 2010 में वह नौकरी के लिए भोपाल आया था और उनकी अनुशंसा पर सोम डिस्लरी में एकाउंट विभाग में नौकरी मिली है. अभियुक्त शेर सिंह चौहान के माध्यम से वह वित्त मंत्री राधवजी के सरकारी चार इमली स्थित बी-19 में रहने लगा था. शिकायतकर्ता ने स्वीकार किया कि उसने एक अन्य पीड़ित की मदद से वित्तमंत्री का छुपकर विडियो बनाया था. सहमति के साथ एकांत में अप्राकृतिक यौन करने का वीडियो साजिश के तहत बनाया गया था. शिकायतकर्ता ने वित्त मंत्री का सरकारी निवास मई 2013 में छोड़ दिया था. इसके लगभग तीन माह बाद उसने रिपोर्ट दर्ज करवाई. शिकायतकर्ता साल 2010 से 2013 तक वित्त मंत्री के सरकारी निवास में रहता था, इस दौरान उसने किसी प्रकार की कोई शिकायत नहीं की. राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के इशारे तथा आपसी रंजिश के कारण शिकायतकर्ता ने एफआईआर दर्ज करवाई है.

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निजी रंजिश के तहत मामला दर्ज:एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि उक्त याचिका साल 2016 से लंबित है और न्यायालय का अभिमत है कि अपराधिक मामले में अभियुक्त को ट्रायल का सामना करना चाहिये. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश है कि अपराधिक मामला दुर्भावना व निजी रंजिश के कारण दर्ज करवाया जाता है तो एफआईआर निरस्त की जा सकती है. इस प्रकरण में अपराधिक कार्रवाई से स्पस्ष्ट है कि दुर्भावना के कारण एफआईआर दर्ज करवाई गयी है. प्रदेश की राजनीति में महत्तपूर्ण पोर्टफोलियों रखने वाले व्यक्ति की छवि धूमिल करने के लिए प्रतिद्वंदियों के इशारे पर एफआईआर दर्ज करवाई है. शिकायतकर्ता ने एक अन्य साथी के साल मिलकर साजिश के तहत एकांत का विडियों बनाया था. एकलपीठ ने उक्त आदेश के साथ एफआईआर निरस्त करने के आदेश जारी किये हैं.

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