जबलपुर।पूर्व विधायक किशोर समरिते की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया है कि बालाघाट जिले के तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य ने कस्टम मिलिंग व चावल के अवैध कारोबारियों, कान्हा स्थित रिसोर्ट संचालकों, रेत ठेकेदारों, कंस्ट्रक्शन कंपनी से रिश्वत के रूप में मंहगे गिफ्ट खुद व परिजनों के नाम पर लिये थे. इस संबंध में उन्होंने केन्द्र सरकार से शिकायत की थी. केन्द्र सरकार ने शिकायत पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को निर्देशित किया था. राज्य सरकार ने जांच बालाघाट कलेक्टर को सौंप दी थी. तत्कालीन कलेक्टर दीपक आर्य ने खुद पर लगे आरोपों स्वयं जांच करते हुए क्लीन चीट प्रदान कर दी.
उच्च स्तरीय कमेटी के निर्देश थे :तत्कालीन कलेक्टर द्वारा खुद की जांच किये जाने के खिलाफ उन्होंने केन्द्र सरकार से शिकायत की की थी. केन्द्र सरकार ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिये. मुख्य सचिव द्वारा शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने जनवरी 2022 को अपने आदेश में कहा था कि नियमानुसार जिस अधिकारी पर आरोप लगे हैं, उसकी जांच वरिष्ठ अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए शिकायत की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने के आदेश जारी किए. शिकायत सही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारी पर तथा गलत पाये जाने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई के आदेश भी हाईकोर्ट ने पारित किए थे. हाईकोर्ट के आदेष बावजूद भी जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित नहीं किये जाने के कारण उक्त अवमानना याचिका दायर की गयी है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदक दीप्ति गौड मुखर्जी तथा मनीष रस्तोगी को नोटिस जारी किये हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे पैरवी की.