जबलपुर।राज्य सूचना आयुक्त द्वारा जिला कलेक्टर को विभागीय जांच के निर्देश जारी किए जाने के खिलाफ एक शिक्षक ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल ने किस प्रवाधान के तहत विभागीय जांच की अनुशंसा की गई इसके संबंध में राज्य सूचना आयुक्त से शपथ-पत्र में जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्यो ना सूचना आयुक्त पर जुर्माना लगाते हुए याचिकाकर्ता को क्षतिपूर्ति दिलवाई जाए. याचिका पर 4 सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की गई है.
यह है मामला:टीकमगढ निवासी शिक्षक विवेकानंद मिश्रा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जानकारी मांगी थी. निर्धारित समय पर जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने सीईओ जिला पंचायत के समक्ष प्रथम अपील दायर की थी. इसके बावजूद भी जानकारी नहीं मिलने पर उन्होंने राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष द्वितीय अपील पेश की थी. जिसकी सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने याचिकाकर्ता को 30 दिनों में जानकारी उपलब्ध करवाने के निर्देश दिये थे. आदेश का परिपालन नहीं होने पर धारा 20 के तहत शासन को आरोपित करने की चेतावनी दी थी. इसी आदेश में राज्य सूचना आयुक्त ने जिला कलेक्टर को निर्देशित किया था कि याचिकाकर्ता शिक्षक होते हुए बदनियति से सूचना के अधिकार अधिनियम का दुरूपयोग कर रहा है. इसलिए उसके खिलाफ विभागीय जांच की जाए. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम में आयुक्त के पास आवेदक को दंडित करने का अधिकार नहीं है. सूचना अधिकारी या आयुक्त आवेदक की समुचित सहायता करेगा, लेकिन राज्य सूचना आयुक्त द्वारा पारित आदेश मनमानी पूर्ण व कानून का उल्लंधन है. कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किया है.
डारेक्टर प्रॉसिक्यूशन की हुई नियुक्ति, नहीं मिले अधिकार:न्यायालयो में लंबित आपराधिक मामलों में अभियोजन पक्ष की पैरवी के लिए पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की नियुक्ति से संबंधित संज्ञान याचिका सहित अन्य याचिकाओं की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच ने की. सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन की नियुक्ति कर दी गयी है, परंतु उन्हें किसी प्रकार के अधिकार नहीं दिये गये हैं. केन्द्र व राज्य सरकार के द्वारा नियुक्तियों के विचाराधीन तथा रिक्त पद के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करते समय अधिकार प्रदान करने का आग्रह किया. युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए याचिका पर 13 दिसम्बर को अंतिम सुनवाई के निर्देश दिए हैं.