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MP High Court : सिविल जज व ADJ की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने के मामले में जवाब मांगा - उत्तर पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने की माग

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सिविल जज तथा एडीजे की मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को सूचनाओं के अधिकार के तहत सार्वजनिक किए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेटिक एंड सोशल जस्टिस नामक संस्था द्वारा दायर की गई है. जस्टिस शील नागू एवं जस्टिस डी.डी. वंसल की विशेष खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए जवाब पेश करने के लिए एक सप्ताह की मोहलत दी है. याचिका की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी. (Main exam Civil Judge) (Making public answer sheets)

Main exam Civil Judge
सिविल जज पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने के मामले में जवाब मांगा

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Published : Nov 5, 2022, 4:17 PM IST

जबलपुर।एडवोकेट यूनियन फार डेमोक्रेटिक एंड सोशल जस्टिस संस्था द्वारा पूर्व में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इसमे हाईकोर्ट द्वारा की जाने वाली सिविल जज एवम एडीजे की भर्तीयो को पारदर्शिता बनाने के लिए मुख्य परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं को तीसरे पक्षकार को सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक किए जाने की मांग की गई थी. वहीं उसके उलट याचिका को 2 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि उत्तरपुस्तिका संबंधित की व्यक्तिगत जानकारी है. इसलिए आरटीआई के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक नहीं की जा सकती है.

.. हाईकोर्ट ने ये जवाब दिया :हाईकोर्ट ने आदेश मे यह भी लिखा था कि यदि याचिकाकर्ता की मांग के अनुसार सार्वजनिक करने का आदेश दिया जाता है तो हाईकोर्ट का 75 प्रतिशत स्टाफ इसी काम के लगाना पड़ेगा. याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के फैसले से अवगत कराते हुए बताया गया कि न्यायधिपतियो की संपत्ति जोकि उनकी व्यक्तिगत जानकारी है, को भी सुप्रीम कोर्ट ने सूचना के अधिकार के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदान किए जाने का आदेश किया गया है तो फिर उत्तरपुस्तिकाएं संबंधित की व्यक्तिगत जानकारी कैसे हो सकती है ?

सिविल जज पुस्तिकाओं को सार्वजनिक करने के मामले में जवाब मांगा

हाई कोर्ट ने याचिका रद्द कर दी थी :इसके बाद भी हाईकोर्ट ने उक्त फैसले को दरकिनार करते हुए दिनांक 02 सितंबर 2022 (पीआईएल) को आदेश पारित कर याचिका खारिज कर दी गई है. इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में पिटीशनर संस्था द्वारा अपील दायर करना चाहती है. इस हेतु प्रमाणपत्र संविधान के अनुच्छेद 134 ए के प्रावधान के तहत जारी करने हेतु दूसरी याचिका क्रमांक 2260/22 दायर की गई है. याचिका की सुनवाई हेतु विशेष डिवीजन बैंच का गठन किया गया. शुक्रवार को प्रारंभिक सुनवाई की गई.

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अगली सुनवाई 11 नवंबर को :सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि यह इस कोर्ट के समक्ष एक विरलतम मामला है. उक्त संबंध में हाईकोर्ट के क्या रूल्स एवम आदेश है, जिनके परीक्षण के लिए अनावेदक उच्च न्यायालय के नामांकित सीनियर अधिवक्ता को परीक्षण करने के आदेश दिए गए है. प्रकरण की अगली सुनवाई दिनांक 11 नवंबर को नियत की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, उदय कुमार, परमानंद साहू, राम गिरीश वर्मा, रामभजन लोधी, रूप सिंह मरावी, अंजनी कुमार कोरी, भारत दीप सिंह बेदी आदि ने पैरवी की. (Main exam Civil Judge) (Making public answer sheets)

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