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एकपक्षीय तलाक को पत्नी ने High Court में दी चुनौती, पति की दूसरी शादी भी रुकवाई - एकपक्षीय तलाक को चुनौती

अपनी पत्नी से प्रताड़ित एक पति ने सतना कुटुंब न्यायालय में तलाक की अर्जी लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने उसकी पत्नी का पक्ष जाने बिना ही पति के पक्ष में आदेश पारित कर दिया और जब पति दूसरी शादी करने लगा, तब उसकी पत्नी को पता चला कि उसके पति ने तलाक की अर्जी लगाई थी, जिस पर तलाक का एकतरफा आदेश कुटुंब न्यायालय द्वारा जारी किया गया है, जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी है, अब कोर्ट ने पति को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है, साथ ही दूसरी शादी करने पर भी रोक लगा दी है.

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Published : Jun 22, 2021, 11:06 AM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक महिला की अपील पर उसके पति की वैवाहिक स्थिति पर यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया है यानि पति की दूसरी शादी करने पर रोक लगा दी है. जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव व जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला की तरफ से की जाने वाली देरी को क्षमा करते हुए उक्त आदेश जारी किया है. साथ ही याचिकाकर्ता के पति को भी नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है.

रायपुर निवासी लक्ष्मी सेन की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पति के पक्ष में पारित एकपक्षीय तलाक के व्यवहार न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई है, आवेदिका का कहना है कि सतना निवासी उसके पति ने सतना कुटुंब न्यायालय के समक्ष तलाक की याचिका लगाई थी, जिसमें कहा गया था कि अपीलार्थी अपनी पत्नी के साथ नहीं रहना चाहता है क्योंकि उसका आचरण बेहद क्रूर है, जिस पर कुटुंब न्यायालय ने एक पक्षीय तलाक का आदेश पारित कर दिया, जबकि आदेश पूर्व कोर्ट की तरफ से याचिकाकर्ता की पत्नी को को कोई सम्मन या नोटिस जारी कर उसका पक्ष जानने की कोशिश नहीं की गई, जिसे महिला ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है.

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जब अपीलार्थी को उसके पति की दूसरी शादी की तैयारी के बारे में पता चला, तब पूछताछ करने पर फैमिली कोर्ट द्वारा पारित एकपक्षीय तलाक के आदेश की जानकारी मिली, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, इसके बाद अपीलार्थी ने अपील में हुई देरी को क्षमा किए जाने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया, जिस पर हाई कोर्ट ने अभिमत स्वीकार किया कि अपीलार्थी को समय सीमा के अंदर अपील करने से बाधित किए जाने के सद्भाविक कारण हैं और विलम्ब क्षमा किये जाने के पर्याप्त कारण हैं, जिस पर सुनवाई के पश्चात न्यायालय ने उक्त आदेश जारी किया है. अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत अवस्थी, आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ल ने पैरवी की.

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