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MP High Court : मासूम से रेप के मामले में 15 साल के किशोर को जमानत देने से इनकार - रोड किनारे व सार्वजनिक स्थलों पर सुनवाई

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने छह साल की बच्ची से रेप के आरोपी 15 साल के किशोर को जमानत देने से इनकार कर दिया. जस्टिस डीके पालीवाल की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि छह साल की मासूम बच्ची के साथ 15 साल से अधिक उम्र के लड़के ने हिंसक यौन उत्पीड़न किया है.

MP High Court Denial of bail
रेप के मामले में 15 साल के किशोर को जमानत देने से इनकार

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Published : Mar 4, 2023, 4:07 PM IST

जबलपुर।हाई कोर्ट ने जमानत अर्जी कैंसिल करने के बाद कहा कि एक्ट में जमानत के प्रावधानों को पीड़ित बच्चे के रोने की अनदेखी करते हुए केवल किशोर के लाभ के लिए काम करने के लिए व्याख्या नहीं की जा सकती है. बता दें कि सतना जिले में 6 साल की मासूम लड़की के साथ 15 साल के लड़के ने हिसक तरीके से दुराचार किया था. आरोपी लड़का उसका पड़ोसी है और उसके मामा की दुकान पर काम कर रहा था. किशोर की जमानत का आवेदन को जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया था.

हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की :किशोर की जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली गयी थी. एकलपीठ ने जमानत आवेदन को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि आरोपी वीडियो क्लिप दिखाने मासूम पीड़िता को दुकान के अंदर ले गया. इसके बाद अश्लील वीडियो दिखाया और उसका यौन उत्पीड़न किया, जिससे उसके निजी अंगों पर गंभीर चोटें आईं. एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि किशोर न्याय अधिनियम का उद्देश्य कानून के साथ संघर्ष करने वाले बच्चे के साथ-साथ देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चे दोनों की देखभाल करना है. पीड़ित बच्चे की जरूरत या कल्याण की अनदेखी करते हुए केवल कानून का उल्लंघन करने वाले किशोर को लाभ नहीं दिया जा सकता है. एक किशोर के प्रति गलत सहानुभूति दिखाकर पीड़िता और समाज को न्याय से वंचित करना कानून का इरादा नहीं है.

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रोड किनारे व सार्वजनिक स्थलों पर सुनवाई :जबलपुर में रोड किनारे व सार्वजनिक स्थलों पर अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों को हटाने को लेकर सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेते हुए अगली सुनवाई 3 अप्रैल को निर्धारित की है. उल्लेखनीय है कि सतना बिल्डिंग निवासी सतीश वर्मा की ओर से साल 2014 में उक्त अवमानना दायर की थी. हाईकोर्ट ने भी साल 2018 में संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. इसके अलावा एक अन्य जनहित याचिका भी दायर की गयी थी. याचिकाओं पर पूर्व में संयुक्त रूप से हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सार्वजनिक स्थलों व सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश का पूर्णतः पालन नहीं किया गया है. रोड चौड़ीकरण, नाली निर्माण या फुटपाथ में 64 अवैध धार्मिक स्थल बाधक बने हुए हैं.

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