जबलपुर। प्रदेश में फर्जी तथा नियम विरुद्ध तरीके से संचालित नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि माइग्रेट 2697 फैकल्टी को आपात्र घोषित किया गया है. फैकल्टी के फर्जी आधार तथा पेन कार्ड के आधार पर मान्यता लेने वाले दो कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा फैकल्टी फर्जीवाडे़ को रोकने के लिए आधार वेरिफिकेशन का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है.
कागज में कॉलेज: लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन कॉउसिंल ने निरिक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदंड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.
कई कॉलेज में एक ही स्टॉफ: पूर्व में याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें एक व्यक्ति उसी समय में कई स्थानों में काम कर रहा है. दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ो किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहे थे. हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे. पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि साल 2022-23 के लिए जिन कॉलेजों को मान्यता दी गयी है, उसमें से 20 कॉलेज में एक ही फैकल्टी दो या उससे अधिक कॉलेज में नियुक्त है.